अरविंद केजरीवाल की जमानत एक बार फिर टलती नजर आ रही है. दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले पर हाई कोर्ट ने अभी रोक लगाई है. ईडी ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपील की है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति केस में जमानत न दी जाए. मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े इस केस में एक बार अरविंद केजरीवाल की रिहाई टल सकती है. गुरुवार को ही उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत दी थी.
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस सुधीर कुमार जैन और जस्टिस रविंद्र दुदेजा की बेंच ईडी की याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए तैयार हो गई. ईडी ने इस केस की तत्काल सुनवाई की अपील की थी. ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू कोर्ट पेश हुए हैं. एएसजी राजू ने कोर्ट से अपील की है कि अरविंद केजीवाल को इतनी जल्दी रिहाई न दी जाए.
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने ईडी के हाई कोर्ट जाने पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है, 'मोदी सरकार की गुंडागर्दी देखिए अभी ट्रायल कोर्ट का आदेश ही नही आया आदेश की कॉपी भी नही मिली तो मोदी की ED हाईकोर्ट में किस आदेश को चुनौती देने पहुंच गई? क्या हो रहा है इस देश में? न्यायव्यवस्था का मजाक क्यों बना रहे हो मोदी जी पूरा देश आपको देख रहा है?
मोदी सरकार की गुंडागर्दी देखिए अभी ट्रायल कोर्ट का आदेश ही नही आया आदेश की कॉपी भी नही मिली तो मोदी की ED हाईकोर्ट में किस आदेश को चुनौती देने पहुँच गई?
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) June 21, 2024
क्या हो रहा है इस देश में?
न्यायव्यवस्था का मज़ाक़ क्यों बना रहे हो मोदी जी पूरा देश आपको देख रहा है?
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने हाई कोर्ट से कहा, 'मैंने तत्काल सुनवाई की अपील इसलिए की है कि अभी तक आदेश अपलोड नहीं हुए हैं. जमानत की शर्तें पता नहीं हैं. हमें जमानत याचिका का विरोध तक करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला है.'
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने हाई कोर्ट से कहा, 'कानून कहता है कि पब्लिक प्रॉसीक्यूटर को बहस के लिए पूरा समय मिलना चाहिए लेकिन वहां कोई उन्होंने बहस के लिए कोई अवसर ही नहीं दिया है. उनकी दलीलों को दरकिनार कर दिया गया.'
सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी अरविंद केजरीवाल की ओर से कोर्ट में पेश हुए थे. एडवोकेट विक्रम चौधरी ने कहा कि ईडी को अदालत का फैसला मान लेना चाहिए. वकीलों के तर्क पर हाई कोर्ट ने कहा, 'पहले फाइल आने दीजिए. मैंने कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया है. फाइल को 10 से 15 मिनट में आने दीजिए. तब आप बहस कर सकते हैं. कोर्ट ने इसी के साथ ही केस की सुनवाई के लिए तैयार हो गई.