Judge Yashwant Verma Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा से छीना न्यायिक कार्य, जांच के आदेश
Judge Yashwant Verma Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने नोट कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा को न्यायिक कार्य से मुक्त कर दिया है, जिसके चलते अब उनकी अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच-III मामलों की तारीख तय करेगी.

Justice Yashwant Verma: दिल्ली उच्च न्यायालय में एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाते हुए चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय ने जस्टिस यशवंत वर्मा से तत्काल प्रभाव से न्यायिक कार्य वापस ले लिया है. यह निर्णय भारत के चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना की सिफारिश के बाद आया, जिन्होंने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है.
यशवंत वर्मा के खिलाफ क्यों उठाया गया यह कदम?
बता दें कि 14 मार्च की रात करीब 11:35 बजे, यशवंत वर्मा के तुगलक रोड स्थित सरकारी आवास में आग लग गई थी. आग बुझाने पहुंचे दिल्ली अग्निशमन सेवा (DFS) के कर्मियों को स्टोररूम में भारी मात्रा में नकदी मिली, जिसमें से कुछ जली हुई अवस्था में थी. उस समय न्यायमूर्ति वर्मा और उनकी पत्नी भोपाल में थे.
इस घटना के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस ने मामले की आंतरिक जांच की सिफारिश की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया. इसके परिणामस्वरूप, जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य छीन लिया गया और उनके स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की गई.
तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन
इस विवाद की गहन जांच के लिए सीजेआई संजीव खन्ना ने एक तीन सदस्यीय इन-हाउस कमेटी बनाई है, जिसमें शामिल हैं -
- जस्टिस शील नागू - चीफ जस्टिस, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
- जस्टिस जी.एस. संधावालिया - चीफ जस्टिस, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय
- जस्टिस अनु शिवरामन - जस्टिस, कर्नाटक उच्च न्यायालय
बताते चले कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च को जस्टिस वर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय इलाहाबाद में स्थानांतरित करने की सिफारिश की. हालांकि, इस फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (HCBA) ने कड़ी आपत्ति जताई और पूछा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को 'डंपिंग ग्राउंड' क्यों बनाया जा रहा है?