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Justice Yashwant Verma: विवादों में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम CBI जांच में, 2018 के पुराने केस का क्या है किस्सा

Justice Yashwant Verma: इस समय दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस यशवंत वर्मा चर्चा का विषय बने हुए हैं. पहले खबर फैली की उनके घर पर करोड़ों का कैश मिला लेकिन अब यह बताया जा रहा है कि उनके घर से किसी भी प्रकार का कोई कैश नहीं मिला.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Justice Yashwant Verma
Courtesy: Social Media

Justice Yashwant Verma: दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी कैश बरामद होने के बाद उनके खिलाफ विवादों का एक नया मोड़ सामने आया है. उनका नाम 2018 की एक सीबीआई जांच में भी आया था. आइए जानते हैं कि आखिर वह कौन सा केस था और क्यों जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम आया था. 

सिम्भावली शुगर मिल घोटाला और CBI जांच

यह मामला 2018 में शुरू हुआ, जब सीबीआई ने सिम्भावली शुगर मिल के खिलाफ जांच शुरू की थी. ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स द्वारा की गई शिकायत के आधार पर यह जांच शुरू हुई, जिसमें आरोप था कि सिम्भावली शुगर मिल ने किसानों के लिए ली गई 97.85 करोड़ रुपये की ऋण राशि का दुरुपयोग किया और उसे अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया.

2015 तक सिम्भावली शुगर को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा "संशयित धोखाधड़ी" के रूप में चिन्हित किया जा चुका था. इसके बाद सीबीआई ने इस मामले में 12 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की थी, जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम दसवें आरोपी के रूप में था. उस समय जस्टिस वर्मा कंपनी में गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत थे.

जस्टिस वर्मा पर आरोपों की सच्चाई

यह आरोप भले ही गंभीर थे, लेकिन शुरुआत में इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. कई वर्षों तक इस मामले की जांच ठप पड़ी रही और न ही कोई प्रमुख कदम उठाए गए. 2024 में एक अदालत ने सीबीआई से इस मामले की जांच फिर से शुरू करने का आदेश दिया था, लेकिन इससे पहले कि कोई और कदम उठाया जाता, सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को पलट दिया और सीबीआई की प्रारंभिक जांच को बंद कर दिया.

जस्टिस वर्मा के खिलाफ उठते सवाल

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकद रकम की बरामदगी ने इस पूरे मामले को फिर से तूल दिया है. अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या उनका इस वित्तीय घोटाले में कोई रोल था. आलोचकों का कहना है कि 2018 में CBI की निष्क्रियता और 2024 में सुप्रीम कोर्ट का दखल दिखाता है कि उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर गहरी लापरवाही बरती जा रही है.