Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के वकील को संविधान में संशोधन कर 'इंडिया' शब्द की जगह 'भारत' या 'हिंदुस्तान' करने के निर्देश के अनुरोध वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है.
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता के समक्ष 4 फरवरी को सुनवाई के लिए आई इस याचिका को अब 12 मार्च को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
याचिकाकर्ता का तर्क
याचिकाकर्ता नमहा ने अपनी याचिका में कहा है कि 'इंडिया' नाम देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. उनका तर्क है कि देश का नाम बदलकर 'भारत' करने से नागरिकों को 'औपनिवेशिक बोझ' से मुक्ति मिलेगी. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन की भी मांग की गई है, जो संघ के नाम और क्षेत्र से संबंधित है.
संविधान सभा की बहस का हवाला
याचिकाकर्ता ने तत्कालीन मसौदा संविधान के अनुच्छेद 1 पर 1948 की संविधान सभा की बहस का हवाला देते हुए कहा कि उस समय भी देश का नाम 'भारत' या 'हिंदुस्तान' रखने के पक्ष में 'मजबूत लहर' थी. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम यानी भारत से पहचाना जाए.
न्यायालय का रुख
अदालत ने कहा है कि केंद्र सरकार के वकील ने निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय मांगा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी.
याचिका की पृष्ठभूमि
सबसे पहले, याचिकाकर्ता ने संविधान में संशोधन करने और 'इंडिया' शब्द की जगह 'भारत' या 'हिंदुस्तान' करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. शीर्ष अदालत ने 2020 में निर्देश दिया था कि याचिका को एक ज्ञापन के रूप में लिया जाए और उचित मंत्रालयों द्वारा इस पर विचार किया जा सकता है.
याचिकाकर्ता का दावा
याचिका में दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता के ज्ञापन पर लिए गए किसी भी निर्णय के बारे में प्रतिवादियों की ओर से कोई अपडेट नहीं है. इसलिए, उनके पास वर्तमान याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. 'इंडिया' की जगह 'भारत' नाम की मांग वाली यह याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में विचाराधीन है. अब देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला लेती है.