दिल्ली आबकारी नीति केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है. अदालत से अरविंद केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े केस में जमानत मिल गई है, अब वे भ्रष्टाचार को लेकर CBI की हिरासत में हैं. ईडी की हिरासत से उन्हें जमानत मिल चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) का हवाला देते हुए कहा था कि अभी तक पूरे आरोप साबित नहीं हुए हैं, ऐसे में किसी भी शख्स को महीनों तक जेल में नहीं रखा जा सकता है. अब वे प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट से जुड़े एक केस की वजह से जेल में हैं. यह केस, CBI ने भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में दर्ज कराया है.
अरविंद केजरीवाल को CBI ने 26 जून को गिरफ्तार किया था. आरोप है कि अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के मामले में सामने आए हैं. उन्होंने घूस लेकर यह कानून बनाया है. सीबीआई की याचिका के खिलाफ ही अरविंद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.
पढ़ें सुप्रीम कोर्ट में हुई जोरदार बहस
- जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपके पास एक प्रथम दृष्टया तर्कसंगत राय होनी चाहिए. सेक्शन 41ए के मुताबिक आपको उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं है लेकिन आप उनसे पूछताछ में शामिल होने के लिए कह सकते हैं.
- अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह बेहद अहम है. क्या ये सब किसी कागजात के लिए हैं. उन्होंने धारा 41 के तहत गिरफ्तार कर लिया है. उन्हें जमानत देनी ही चाहिए.
- अभिषेक सिंघवी ने कहा कि मैं ट्रायल कोर्ट जाने की बात कह रहा हूं. आपके पास अधिकार है कि इस केस को ट्रायल कोर्ट भेज दें. इस केस के मेरिट पर सुनवाई हो चुकी है. ट्रायल कोर्ट ने गिरफ्तारी की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े किए थे. तीन टेस्ट से कोर्ट सहमत था. दुर्भाग्य है कि सभी संभावित आरोपी रिहा हो चुके हैं केवल एक को छोड़कर. मनीष सिसोदिया, कविता, बुची बाबू. उन्होंने कहा कि CBI ने मुझे (अरविंद केजरीवाल) गवाह के तौर पर बुलाया. एमसीसी मार्च में आया है. ईडी ने गिरफ्तार किया. सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को रिहा किया. ट्रायल कोर्ट ने जून में रिहा किया. अब गिरफ्तार करने की जरूरत क्या है. क्या हुआ, जब 3 महीने में हिरासत में ही था.
अभिषेक मनु सिंघवी ने सत्येंद्र अंतिल, अरुणेश कुमार का जिक्र करते हुए हवाला दिया और कहा कि सीआरपीसी की धारा 41ए के मुताबिक यह पर्याप्त नहीं है. अगर कुछ भी अपूर्ण रहता है तो बेल मिलनी चाहिए.
असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ने कहा, 'हमें जमानत पर आपत्ति है. बेल और गिरफ्तारी पर होने वाली बहस में घाल-मेल हो रही है.' जस्टिस कांत ने कहा कि अभिषेक मनु सिंघवी को बहस करने दीजिए. अगर वे मेरिट पर बहस चाहते हैं. जस्टिस कांत ने कहा कि यह हमेशा ध्यान में रहे कि केस बेल से जुड़ा हुआ है. एएसजी ने कहा कि जितना समय उन्हें दिया जा रहा है, हमें नहीं मिल रहा है.