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Delhi Election Results: दिल्ली में कांग्रेस का तीसरी बार सूपड़ा साफ, 0 की हैट्रिक लगाने का बनाया शर्मनाक रिकॉर्ड

कांग्रेस की दिल्ली में लगातार तीसरी हार और आम आदमी पार्टी की हैट्रिक से चूकने के कारण, दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. कांग्रेस के लिए यह एक और राजनीतिक झटका साबित होगा, खासकर जब वह अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है.

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Edited By: Babli Rautela
Congress leader Rahul Gandhi
Courtesy: Social Media

Delhi Election Results: दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना के तीन घंटे बाद, आम आदमी पार्टी (आप) एक बार फिर हैट्रिक बनाने में नाकाम दिखाई दे रही है. वहीं, कांग्रेस के लिए यह लगातार तीसरी बार शून्य पर आउट होने की स्थिति बनती दिख रही है, जिससे पार्टी के भीतर हलचल मच गई है. अगर मौजूदा स्थिति बनी रही, तो यह दिल्ली विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस के लिए तीसरी निराशाजनक हार साबित होगी. कांग्रेस ने न तो 2015 और न ही 2020 में एक भी सीट जीती, और इस बार भी दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से किसी पर भी आगे नहीं चल रही है.

कांग्रेस के लिए यह हार केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि हरियाणा और महाराष्ट्र में मिली हार के बाद अब यह पार्टी की हार की 'हैट्रिक' बन चुकी है. पिछले साल लोकसभा चुनावों में आप के साथ गठबंधन करने के बाद, इस बार कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया था, लेकिन इस फैसले ने भी पार्टी को कोई लाभ नहीं पहुंचाया.

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच बढ़ी दरार

दिल्ली चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली. कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि, 'आप की जीत सुनिश्चित करना कांग्रेस की जिम्मेदारी नहीं है.' उन्होंने इस संबंध में अरविंद केजरीवाल की 'महत्वकांक्षी' प्रवृत्ति को जिम्मेदार ठहराया और पार्टी के बीच संबंधों में आई दरार को भी उनके राजनीतिक दृष्टिकोण से जोड़ा. साथ ही, उन्होंने हरियाणा चुनाव के दौरान AAP की 'कड़ी सौदेबाजी' का भी उल्लेख किया.

वहीं, आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पर भाजपा की भाषा बोलने का आरोप लगाया और चुनाव के दौरान अपने पूर्व सहयोगी कांग्रेस के साथ कटु रिश्ते की ओर इशारा किया. दोनों दलों के बीच संघर्ष ने न केवल दिल्ली में चुनाव प्रचार को गर्म किया, बल्कि इसने विपक्षी राजनीति को भी विभाजित किया.

विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर एक बड़ा संदर्भ यह भी है कि पार्टी भारत के विपक्षी ब्लॉक में अपने प्रभावी नेतृत्व के लिए संघर्ष कर रही है. पिछले कुछ चुनावों में, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का समर्थन किया था. लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के बाद, विपक्षी गठबंधन में नेतृत्व परिवर्तन की मांग भी तेज हो गई है. कांग्रेस की लगातार हार ने यह साफ कर दिया है कि वह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है.

कांग्रेस के दिल्ली में सफाए को देखना और समझना इस समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि पार्टी ने 2013 तक शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली पर शासन किया था. शीला दीक्षित को दिल्ली की सबसे पॉपुलर और प्रभावी मुख्यमंत्री के रूप में पहचाना जाता है. 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने 43 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2013 में यह संख्या घटकर 8 सीटों तक सिमट गई. इसके बाद 2015 और 2020 में पार्टी एक भी सीट जीतने में विफल रही, और अब दिल्ली चुनाव में भी उसकी हार तय दिखाई दे रही है.