Delhi CM Rekha Gupta Gets Z security: दिल्ली की 9वीं मुख्यमंत्री और 4वीं महिला मुख्यमंत्री, रेखा गुप्ता को Z श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है. यह भारत में उपलब्ध सुरक्षा के उच्चतम स्तरों में से एक है. आइए जानते हैं Z सिक्योरिटी क्या है, इसे किसे और क्यों दी जाती है, और इसका खर्च कौन उठाता है. भारत में सुरक्षा कवच की व्यवस्था व्यक्ति के सुरक्षा खतरे के स्तर पर आधारित होती है.
Z+ (सर्वोच्च सुरक्षा)
Z श्रेणी की सुरक्षा भारत में तीसरी सबसे उच्चतम सुरक्षा श्रेणी मानी जाती है. इसमें 22 सदस्यीय सुरक्षा बल की व्यवस्था होती है. इस सुरक्षा कवच में निम्नलिखित शामिल हैं:
4 से 6 NSG (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) कमांडो
अतिरिक्त पुलिस कर्मी
दिल्ली पुलिस, ITBP (इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस) या CRPF (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के कर्मी
भारत के अधिकांश राज्य मुख्यमंत्री को Z श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाती है क्योंकि उनके कार्यों और जिम्मेदारियों के कारण उन्हें सुरक्षा खतरे का सामना करना पड़ता है.
Z श्रेणी की सुरक्षा एक महंगी व्यवस्था होती है, क्योंकि इसमें सुरक्षा बल और वाहनों का काफिला शामिल होता है. 2014 में RTI (सूचना का अधिकार) के एक जवाब के अनुसार, Z श्रेणी सुरक्षा की लागत संबंधित राज्य सरकार उठाती है. इसका मतलब यह है कि जो भी अधिकारी इस सुरक्षा कवच के अंतर्गत आते हैं, उनकी सुरक्षा की लागत राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है.
Z सिक्योरिटी एक उच्चतम स्तर की सुरक्षा है जो भारत सरकार द्वारा उन लोगों को प्रदान की जाती है जिन्हें गंभीर खतरा होता है. यह सुरक्षा व्यवस्था एक कड़े सुरक्षा कवच के रूप में काम करती है और इसमें विशेष सुरक्षा कर्मियों का एक समूह होता है, जिनमें पुलिस, कमांडो और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी शामिल होते हैं. Z सिक्योरिटी उन प्रमुख व्यक्तियों को दी जाती है जो सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे कि:
राजनीतिक नेता: जिनकी जीवन को खतरा होता है.
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायधीश.
कई अन्य सार्वजनिक शख्सियतें: जिनकी जान को आतंकवादी या अन्य संगठनों से खतरा हो सकता है. सुरक्षा खतरों के अनुसार, सरकार समय-समय पर व्यक्तियों की सुरक्षा कवच की समीक्षा करती रहती है और आवश्यकतानुसार बदलाव करती है.