दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 साल बाद इतिहास रचते हुए दिल्ली में बहुमत हासिल किया है. इससे पहले कांग्रेस ने और फिर साल 2013 से साल 2025 तक आम आदमी पार्टी ने उनके दिल्ली में सरकार बनाने के सपने को पूरा नहीं होने दिया था. बीजेपी ने 8 फरवरी को आए नतीजों में 48 सीटें जीतकर अपनी दमदार वापसी की है. आप की बात करें तो दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्धाज, पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन समेत कई बड़े नेता चुनाव हार गए हैं.
दिल्ली में बीजेपी ने बहुमत तो हासिल कर लिया है. इसके बाद सबकी नजरें दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा उस पर है. बीजेपी के 48 विधायकों में प्रवेश वर्मा, सतीश उपाध्याय, विजेंद्र गुप्ता जैसे नाम तो सीएम रेस में तैर रहे हैं. वहीं बीजेपी की कद्दावर दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी और मौजूदा लोकसभा सांसद बांसुरी स्वराज का नाम भी चल रहा है. ऐसा इसलिए हैं कि क्योंकि दिल्ली में बीजेपी महिला मुख्यमंत्री पर भी दांव खेल सकती है. बीजेपी की देश में कई राज्यों में सरकार है. ऐसे में बांसुरी स्वराज को भी बीजेपी सीएम बना सकती है.
#WATCH | Delhi: BJP MP Bansuri Swaraj says, "BJP double-engine government will now be formed in Delhi. I thank and congratulate all of you. The party leadership will decide (the CM face)." pic.twitter.com/sojNUdlsjB
— ANI (@ANI) February 10, 2025
'बीजेपी लीडरशिप तय करेगी नाम'
बांसुरी स्वराज की बात करें तो वो नई दिल्ली सीट से लोकसभा सांसद हैं. उनसे जब पूछा गया कि क्या वो सीएम की रेस में हैं तो उन्होंने कहा कि पार्टी लीडरशिप मुख्यमंत्री का चेहरा तय केरगी.उन्होंने कहा कि बीजेपी की दिल्ली में डबल इंजन सरकार बनने की बहुत बहुत बधाई. आपका बहुत बहुत आभार और अभिनंदन. बांसुरी
के सीएम बनने की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि उनकी मां सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं.
दिल्ली बीजेपी में है मजबूत पकड़
बांसुरी स्वराज की बात करें तो जिस नई दिल्ली सीट से वो मौजूदा समय से सांसद हैं. वहां से कभी बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ-साथ दिग्गज अभिनेता राजेश खन्ना भी सांसद थे.ऐसे में दिल्ली बीजेपी इकाई में अपने बढ़ते प्रभाव के बीच बांसुरी स्वराज मुख्यमंत्री पद के लिए आदर्श विकल्प हो सकती हैं. अब देखना होगा कि बीजेपी उन्हें मौका देती है या नहीं.