दिल्ली हाई कोर्ट से सीएम केजरीवाल के लिए मांगी राहत, मिला झटका, 75,000 रुपये का जुर्माना भी लगा

दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि अरविंद केजरीवाल को असाधारण अग्रिम जमानत दे दी जाए. कोर्ट ने जमानत तो नहीं दी लेकिन तगड़ा फाइन ठोक दिया. पढ़ें पूरा मामला.

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दिल्ली हाई कोर्ट में अरविंद केजरीवाल के लिए जमानत मांगने वाले एक याचिकाकर्ता को तगड़ा झटका लगा है. याचिका में अरविंद केजरीवाल को आसाधारण आधार पर अग्रिम जमानत देने की मांग की गई थी. याचिकार्ता ने मांग की थी कि सभी आपराधिक मामलों में एकसाथ अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी जाए. कोर्ट ने जमानत तो नहीं दी लेकिन याचिकाकर्ता पर 75,000 रुपये का फाइन जरूर लगा दिया. आम आदमी पार्टी ने खुद इस याचिका का विरोध किया है और कहा है कि यह याचिका सिर्फ एक शरारत थी, हमने इसका विरोध किया है.

दिल्ली के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक बेंच ने इस केस की सुनवाई की. कोर्ट ने कहा, 'उच्च संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति को सभी आपराधिक मामलों में एकसाथ कोर्ट असाधारण आधार पर अग्रिम जमानत नहीं दे सकती है. अगर कोई हिरासत में है तो वह कोर्ट वह कोर्ट आदेश पर है. एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में पड़ी है. वे लगातार कोशिश कर रहे हैं और अपने लिए उपचार मांग रहे हैं. कानून सबके लिए एक समान है.'

किसने दायर की थी जनहित याचिका?

दिल्ली हाई कोर्ट में यह याचिका एक लॉ स्टूडेंट ने फाइल की थी. याचिका में संविधान की प्रस्तावना 'हम भारत के लोग' की दुहाई दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि यहां प्रस्तावना लागू नहीं हो रहा है, कोर्ट अपने रिट ज्यूरिडिक्शन के भीतर असाधारण आधारों पर जमानत नहीं दे सकती है, जब जमानत याचिका किसी ऐसे वक्ति की हो, जिसके पास कोई ऊंचा पद हो. याचिका में यह भी कहा गया था कि अरविंद केजरीवाल की जान खतरे में है.


संविधान देता है बराबरी का हक, नहीं कर सकते भेदभाव: हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने कहा कि यह दिमाग में रखने की जरूरत है कि संविधान में समानता का हक देता है. यही वजह है कि जनता का भरोसा इसी पर टिका हुआ है. संविधान में लोगों का भरोसा कायम रखने के लिए यही तरीका है. याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई थी कि 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था. आम आदमी पार्टी के मंत्रियों पर बंदिशें लगाई जा रही हैं, प्रशासन मुखिया विहीन तरीके से काम कर रहा था.