वोटिंग के बाद कहां रखी जाती हैं EVM, मशीन से छेड़छाड़ करना कितना मुमकिन, कैसे होगी काउंटिंग? जानें हर सवाल का जवाब
स्ट्रांग रूम वह स्थान होता है जहां वोटिंग के बाद EVM को सुरक्षित तरीके से रखा जाता है. इसे इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि इसे तोड़ना बहुत मुश्किल हो. इसमें केवल एक दरवाजा होता है, और इसके लिए डबल लॉक सिस्टम होता है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों की गिनती 8 फरवरी को की जाएगी और चुनाव आयोग के द्वारा मतगणना प्रक्रिया को लेकर सुरक्षा इंतजामों को लेकर पूरी तैयारी की जा चुकी है. वोटिंग के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को सील करके स्ट्रांग रूम में रखा जाता है. इस लेख में हम जानेंगे कि मतगणना की प्रक्रिया क्या होती है, स्ट्रांग रूम क्या है और EVM की सुरक्षा कौन करता है.
मतगणना का समय और प्रक्रिया
मतगणना का दिन जैसे ही आता है, उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि सुबह से ही तैयार रहते हैं. मतगणना की प्रक्रिया आमतौर पर सुबह 7 बजे से शुरू होती है. इस दौरान, स्ट्रांग रूम का ताला खोला जाता है और वीडियोग्राफी शुरू हो जाती है. रिटर्निंग ऑफिसर, चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर और उम्मीदवार के प्रतिनिधि यहां मौजूद रहते हैं. इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है ताकि पारदर्शिता बनी रहे.
स्ट्रांग रूम क्या होता है?
स्ट्रांग रूम वह स्थान होता है जहां वोटिंग के बाद EVM को सुरक्षित तरीके से रखा जाता है. इसे इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि इसे तोड़ना बहुत मुश्किल हो. इसमें केवल एक दरवाजा होता है, और इसके लिए डबल लॉक सिस्टम होता है. एक चाभी स्ट्रांग रूम के इंचार्ज के पास होती है और दूसरी चाभी एक उच्च रैंक वाले अधिकारी के पास होती है. इस दरवाजे को खोलने की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होती है और सभी उम्मीदवारों के प्रतिनिधि इसमें शामिल रहते हैं.
EVM की सुरक्षा कौन करता है?
EVM की सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग और प्रशासन की ओर से कड़े कदम उठाए जाते हैं. स्ट्रांग रूम की सुरक्षा तीन लेयर के तंत्र से की जाती है:
पहला सुरक्षा चक्र: इसमें 24 घंटे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के गार्ड तैनात रहते हैं.
दूसरा सुरक्षा चक्र: राज्य पुलिस द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती है.
तीसरा सुरक्षा चक्र: जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए सुरक्षा गार्ड्स की तैनाती की जाती है.
इसके अलावा, स्ट्रांग रूम की सीसीटीवी निगरानी 24 घंटे की जाती है ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो सके.
मतगणना की शुरुआत
मतगणना की प्रक्रिया सुबह 5 बजे से शुरू होती है, जब काउंटिंग एजेंट्स और संबंधित अधिकारी अपनी तैयारियों में जुट जाते हैं. सबसे पहले, पोस्टल बैलेट्स की गिनती शुरू होती है, जिसमें ETPB (इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट) और फिर सामान्य पोस्टल बैलेट्स की गिनती की जाती है. इसके बाद, ईवीएम से वोटों की गिनती की शुरुआत होती है, और यह प्रक्रिया कई राउंड में पूरी होती है.
मतगणना की समाप्ति और EVM की फिर से सुरक्षा
मतगणना पूरी होने के बाद, EVM को फिर से स्ट्रांग रूम में रख दिया जाता है. काउंटिंग के 45 दिनों तक यह EVM स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखी जाती है. इसके बाद, इसे अन्य स्टोर में स्थानांतरित किया जाता है. स्ट्रांग रूम और EVM की सुरक्षा को लेकर चुनाव आयोग की ओर से कड़े कदम उठाए जाते हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो.