दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की करारी हार के बाद अब पार्टी को अपनी एकमात्र सत्ता वाले राज्य, पंजाब, में अपने प्रदर्शन को सुधारने के लिए ‘पंजाब-केंद्रित विकास मॉडल’ पर विचार करना होगा. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अब विपक्षी दलों के लिए पंजाब में आप को चुनौती देना और अधिक आक्रामक हो सकता है, खासकर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए.
दिल्ली में आप की हार के बाद पंजाब में बढ़ेगा विपक्ष का दबाव
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी की हार ने विपक्षी दलों को पंजाब में अधिक मुखर और आक्रामक बनने की संभावना दी है. 2022 में पंजाब में 92 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को अब अपने प्रदर्शन को सुधारने और राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा. इस हार के बाद, पंजाब में विपक्षी दलों के लिए एक अवसर बन सकता है, खासकर आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर.
दिल्ली मॉडल का पंजाब में न होना सफल
पंजाब विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रोनकी राम का कहना है कि दिल्ली मॉडल का पंजाब में भी अपनाना कठिन हो सकता है. उन्होंने कहा, “अगर दिल्ली के लोग इस मॉडल का समर्थन नहीं करते तो पंजाब के लोग इसका समर्थन क्यों करेंगे?” इसके साथ ही, 'इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन' के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने भी कहा कि अगर दिल्ली में इस मॉडल का हश्र ऐसा था, तो पंजाब में भी वही होगा.
पंजाब-केंद्रित मॉडल की आवश्यकता
कुमार ने सुझाव दिया कि आम आदमी पार्टी को पंजाब-केंद्रित विकास मॉडल पर ध्यान केंद्रित करना होगा. "दिल्ली मॉडल पंजाब में काम नहीं करेगा,".उन्होंने कहा, "पार्टी को अब नए विकास मॉडल पर काम करना होगा. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली चुनाव के नतीजे पंजाब में विपक्षी दलों के लिए एक अवसर पेश करते हैं, जबकि आप को अपने विधायकों को एकजुट रखना और राज्य में बेहतर प्रदर्शन करना होगा.
विपक्षी दलों की चुनौती और अगले चुनाव की रणनीति
पंजाब में विपक्षी दलों के लिए यह देखना होगा कि शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी किस तरह का गठबंधन बनाते हैं. इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी को भी अपनी रणनीति पर ध्यान देने की आवश्यकता है. इसके साथ ही, आम आदमी पार्टी को अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पंजाब में सीधी भागीदारी बढ़ानी होगी और पार्टी के नेतृत्व को मजबूत करना होगा.