Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की एंट्री को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच मुख्य मुकाबला होने के बावजूद, कांग्रेस की अलग राह पर चलने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन था, लेकिन बीजेपी ने सभी सात सीटों पर जीत हासिल की थी. अब कांग्रेस का लक्ष्य क्या होगा? इसपर यहां हम चर्चा कर रहे हैं.
हरियाणा वाला फॉर्मूला दिल्ली में होगा लागू?
दिल्ली में आम आदमी पार्टी 2015 से सत्ता में है और 10 साल की एंटी-इनकम्बेंसी (सत्ताधारी दल के खिलाफ असंतोष) के बाद सत्ता बनाए रखना आसान नहीं होता. ऐसी स्थिति में विभिन्न दलों के उम्मीदवारों के खड़े होने से एंटी-इनकम्बेंसी वोटों का बंटवारा हो सकता है, जिससे आम आदमी पार्टी को फायदा हो सकता है. हरियाणा में इस तरह के मुकाबले में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की थी और दिल्ली में भी ऐसा हो सकता है.
कांग्रेस को मिली बढ़त तो AAP को नुकसान
कांग्रेस ने 2013 में दिल्ली चुनाव में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में 25% वोट शेयर हासिल किया था. 2015 में आम आदमी पार्टी ने 54.6% वोट शेयर के साथ भारी जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 9.7% रह गया. 2020 में भी AAP का वोट शेयर 53% से अधिक रहा, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 5% से भी नीचे चला गया. यदि कांग्रेस अपने पुराने वोटबेस का छोटा सा हिस्सा भी वापस हासिल करती है, तो इसका सीधा नुकसान आम आदमी पार्टी को हो सकता है.
त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी को फायदा
दिल्ली में 2015 में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत के बावजूद बीजेपी ने अपना वोट शेयर बनाए रखा. अगर मुकाबला त्रिकोणीय हुआ, तो बीजेपी को भी इसका फायदा मिल सकता है. क्योंकि हरियाणा में भी बीजेपी ने बहुकोणीय मुकाबले में सफलता पाई थी. दिल्ली में यदि वोट शेयर बंटता है, तो बीजेपी के लिए स्थिति अनुकूल हो सकती है.
निर्णायक बन सकती हैं क्लोज कॉन्टेस्ट सीटें
दिल्ली विधानसभा के पिछले चुनाव में लक्ष्मीनगर सीट पर जीत-हार का अंतर महज 1200 वोट से कम था. ऐसे मामलों में, कांग्रेस का वोट आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच अंतर पैदा कर सकता है. कांग्रेस ने कुछ सीटों पर कड़ी टक्कर दी थी और इस बार भी वह अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकती है, जिससे नतीजे प्रभावित हो सकते हैं.
दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस की पुरानी चाल
कांग्रेस ने कई असंतुष्ट नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया है. आम आदमी पार्टी और बीजेपी के उन नेताओं को टिकट देने से कांग्रेस ने यह संदेश दिया है कि वह इन पार्टियों में असंतुष्ट नेताओं का फायदा उठाने के लिए तैयार है. सीलमपुर से अब्दुल रहमान, द्वारका से आदर्श शास्त्री और बिजवासन से देवेंद्र सेहरावत जैसे नेताओं को टिकट देने से कांग्रेस ने अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है कि वह अपने विरोधियों की परेशानियों का फायदा उठाने की कोशिश करेगी.
इस तरह, दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है, जो न केवल किसी दल का खेल बिगाड़ सकती है, बल्कि परिणामों को प्रभावित भी कर सकती है.