रक्षा मंत्रालय अपने 2024-25 के बजट से 12,500 करोड़ रुपये वापस करेगा. यह कमी उस पैसे का उपयोग न हो पाने के कारण हुई है, जो पूंजीगत अधिग्रहण के लिए निर्धारित था. मंत्रालय ने अपने 2025-26 के बजट में 9.53% का इजाफा किया है, जो अब ₹6.81 लाख करोड़ तक पहुंच गया है. इस बजट में, पूंजीगत खर्च के लिए ₹1.8 लाख करोड़ तय किए गए हैं, जिसमें से ₹1.48 लाख करोड़ का उपयोग आवश्यक रक्षा उपकरणों को आधुनिक बनाने और अधिग्रहण के लिए किया जाएगा.
पूंजीगत खर्च में वृद्धि पर चिंता
हालांकि, पूंजीगत खर्च में महज 4.65% की वृद्धि की गई है, जो मुद्रास्फीति और मुद्रा में उतार-चढ़ाव के कारण चिंता का कारण बन रही है. इसके अलावा, ₹31,277 करोड़ का आवंटन अनुसंधान और विकास (R&D) तथा बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया गया है, जिसमें ₹1.12 लाख करोड़ का उपयोग आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू उद्योगों से खरीददारी के लिए किया जाएगा.
महत्वपूर्ण रक्षा सौदों की उम्मीद
मंत्रालय ने यह भी संकेत दिया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंत तक दो बड़े सौदे लगभग ₹10 बिलियन से अधिक के हो सकते हैं. इनमें से एक सौदा फ्रांस से 26 राफेल-एम फाइटर जेट्स और तीन और स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों का है. ये सौदे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फरवरी 2025 में पेरिस दौरे के दौरान साइन किए जा सकते हैं. राफेल-एम जेट्स भारत की समुद्री रक्षा क्षमता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण होंगे.
सेना के लिए बड़ी खरीददारी
इसके अलावा, भारतीय सेना 307 उन्नत टोन्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीददारी को अंतिम रूप देने वाली है, जिनकी कुल कीमत ₹8,000 करोड़ है. हालांकि, रक्षा खरीद में हो रही देरी के बावजूद, भारतीय कोस्ट गार्ड (ICG) को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि इसके बजट में 26.5% की वृद्धि की गई है और पूंजीगत आवंटन में 43% का इजाफा हुआ है.
कोस्ट गार्ड के लिए नए उपकरण
इस अतिरिक्त धन का उपयोग उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर, डॉर्नियर विमान, तेज गति वाले गश्ती जहाजों, प्रशिक्षण जहाजों और इंटरसेप्टर बोट्स की खरीददारी के लिए किया जाएगा, जिससे भारतीय कोस्ट गार्ड की तटीय सुरक्षा में सुधार होगा और आपातकालीन स्थितियों में बेहतर प्रतिक्रिया मिल सकेगी.
हालांकि रक्षा मंत्रालय के पास अधिक बजट है, लेकिन धन का सही उपयोग करने और खरीद प्रक्रिया में हो रही देरी को ठीक करना एक चुनौती बनी हुई है. आने वाले समय में, मंत्रालय के सामने यह सुनिश्चित करने की चुनौती होगी कि बगैर किसी देरी के खर्च को पूरी तरह से इस्तेमाल किया जाए और भारत की रक्षा क्षमता को सशक्त किया जाए, खासकर जब सुरक्षा का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है.