Ayodhya Ke Ram: अयोध्या के श्रीराम मंदिर में बीते 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. अगले दिन से आम भक्तों के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए गए थे. रोजाना लाखों की संख्या में भक्त रामलला के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. इस बीच मंदिर की मजबूत को लेकर वैज्ञानिकों ने कई बड़े खुलासे किए हैं.
CSIR की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने श्रीराम मंदिर की इमारत, परिसर, जियोफिजिकल कैरेक्टराइजेशन, जियोटेक्निकल एनालिसिस, फाउंडेशन की डिजाइन और थ्रीडी स्ट्रक्चर का अध्ययन करके ये बात कही है. उन्होंने अपने अध्ययन में खुलासा किया है कि श्रीराम मंदिर अधिक से अधिक तीव्रता वाले भूकंप के झटकों को झेलने में सक्षम हैं.
रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक देबदत्त घोष ने बताया कि भूकंप के ऐसे तेज झटके जो लगभग 2500 सालों में एक बार आते हैं उन झटकों का राम मंदिर पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
वरिष्ठ वैज्ञानिक देबदत्त घोष ने बताया कि जियोफिजिकल कैरेक्टराइजेशन में जमीन के अंदर मल्टी चैनल तरंगों का विश्लेषण करते हैं. इस प्रक्रिया को MASW कहा जाता है. इस तकनीक के जरिए धरती के अंदर वेव की गति, गुरुत्वाकर्षण, चुंबकीय, विद्युत,और भूकंपीय विधियों का अध्ययन किया जाता है. भवन या इमारत भूकंप के कितने तेज झटके झेल सकती है और उसे किस मजबूती के साथ बनाया जाए इन्हीं चीजों का विश्लेषण करके किसी भवन के निर्माण कार्य की डिजाइनिंग की जाती है. वैज्ञानिकों ने बताया कि राम जन्मभूमि की मिट्टी से लेकर नींव बनाने के प्रक्रिया सभी चीजों का अध्ययन किया गया है.