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वो राम मंदिर जहां पर खेली गई थी खून की होली, अब 21 साल बाद खुले भक्तों के लिए दरवाजे

छत्तीसगढ़ के सुकमा में एक राम मंदिर माओवादियों के आतंक के कारण 21 सालों से बंद था. 2010 में इस गांव से सिर्फ 10 किमी की दूरी पर 76 जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

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Edited By: India Daily Live
sukma ram mandir

राम जन्मभूमि से राम मंदिर तक, राम भक्तों का 500 साल पुराना सपना साकार हो चुका है.लाखों की संख्या में लोग रोजाना राम लला के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. वहीं, अयोध्या के राम मंदिर से लगभग 1200 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के सुकमा में एक और राम मंदिर के खुलने पर लोग जश्न मना रहे हैं. सुरक्षाबलों ने केरलापेंडा गांव में उस मंदिर को फिर से खोल दिया है जो 21 साल पहले माओवादियों ने बंद करवा दिया था.

केरलापेंडा गांव सुकमा का सबसे ज्यादा माओवाद प्रभावित इलाका है. यह गांव माओवादियों के गढ़ के बीच में है. यहीं पर माओवादियों ने खून की होली खेली थी. साल 2010 में इस गांव से महज 10 किमी की दूरी पर तादमेतला में 76 जवानों का नरसंहार हुआ था, और अप्रैल 2021 में 22 जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

इस गांव में माओवादियों का खौफ इतना था कि एक बार जब गांव वालों को मंदिर में न जाने का आदेश दिया, तो किसी ने भी इसके आसपास जाने की हिम्मत नहीं की. शनिवार को, बड़ी संख्या में हथियारों से लैस CRPF और पुलिस की सुरक्षा के बीच 21 साल से बंद मंदिर खोला गया. मंदिर की साफ-सफाई की गई और भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की संगमरमर की मूर्तियों की पूजा की गई.

ram mandir sukma
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दरअसल, केरलापेंडा और लाखापाल गांवों के बीच कुछ दिन पहले बनाए गए सीआरपीएफ कैंप की वजह से ये सब मुमकिन हो पाया है. 2003 में माओवादियों यहां सबसे अधिक सक्रिय थे. उन्होंने इसे अपना अड्डा बनाया हुआ था और यहीं वे बैठक करते थे. इसी वजह से गांव वालों को मंदिर बंद करने का आदेश दिया गया था और चेतावनी दी थी कि न तो कई इसे खोले और न ही कोई पूजा के लिए इसमें जाए.

सीआरपीएफ 74 बटालियन के कमांडेंट हिमांशु पांडे कहते हैं, 'नया कैंप 11 मार्च को खोला गया था और एरिया डोमिनेशन के दौरान जवानों को यह मंदिर दिखाई दिया. स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया कि माओवादियों ने 2003 में मंदिर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी और इसे जबरन बंद कर दिया था.आदिवासियों के अनुरोध पर, हमने मंदिर को फिर से खोलने की पहल की और इसकी सफाई और पूजा के आयोजन में मदद की.'

केरलापेंडा सुकमा जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां पहुंचने के लिए आखिर में कुछ मील पैदल तय करना पड़ता है. जिला प्रशासन अब मंदिर के इतिहास का पता लगाने में जुटा है. कोई नहीं जानता कि यह कितना पुराना है. लेकिन अधिकारियों का मानना ​​है कि यह कुछ सदियों पुराना हो सकता है क्योंकि यह पत्थर से बना है.