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केरल के राज्यपाल के बयान पर CPI(M) और कांग्रेस का हमला, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाए सवाल

उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने एक बयान में कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि मामले में सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा दिए गए फैसले को संविधान पीठ को संदर्भित किया जाना चाहिए था. यह मुद्दा विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपाल की भूमिका से जुड़ा है.

Imran Khan claims
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SC Ruling Tamil Nadu Governor: केरल के राज्यपाल राजेंद्र विशालनाथ अर्लेकर ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर आपत्ति जताई, जिसमें राज्यपालों को विधायिका द्वारा पारित बिलों पर निर्णय लेने के लिए एक समय सीमा तय की गई थी. अर्लेकर ने इसे 'न्यायपालिका का हस्तक्षेप' और 'अधिकार की सीमा से बाहर जाना' बताया. यह बयान उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स से एक साक्षात्कार में दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि इस मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए था, न कि सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा सुनाया गया फैसला.

सीपीआई(एम) के महासचिव एम ए बेबी ने राज्यपाल के बयान को 'अनावश्यक' करार दिया, जबकि कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने इसे 'अवांछनीय' बताया. वेणुगोपाल ने कोझीकोड में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में कहा, 'राज्यपाल यह नहीं चाहते कि बीजेपी का एजेंडा सामने आए, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केरल के राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया.'

CPI(M) का सवाल - क्या राज्यपालों के पास राष्ट्रपति से अधिक अधिकार हैं?

एम ए बेबी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी पर लागू होता है, जिसमें राष्ट्रपति भी शामिल हैं. उन्होंने सवाल उठाया, 'राष्ट्रपति खुद संसद द्वारा पारित बिलों को लटका नहीं रखते, तो राज्यपालों को ऐसे अधिकार क्यों मिले?' वे भी राज्यपालों को यह समझने की सलाह देते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भावना को स्वीकार करना चाहिए.

कांग्रेस ने राज्यपाल पर किया कटाक्ष

वेणुगोपाल ने राज्यपाल की आलोचना करते हुए कहा कि वह संसद की शक्ति को बढ़ावा तो देते हैं, लेकिन विधानसभा की अधिकारिता की अवहेलना करते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह राज्यपालों का इस्तेमाल राजनीति में हस्तक्षेप करने के लिए कर रहे हैं.

India Daily