नई दिल्ली: सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने संसद के विशेष सत्र को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने सरकार की ओर से बुलाए गए विशेष सत्र को लेकर सवाल उठाया है. सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने अपने पत्र में संसदीय प्रणाली को संरक्षित करने के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में परिकल्पित संसदीय प्रणाली खतरे में है. माननीय राष्ट्रपति जी, आपने 'संविधान की रक्षा, सुरक्षा और बचाव' की शपथ ली है. इन असाधारण परिस्थितियों में मैं इसे संरक्षित करने के लिए आपके हस्तक्षेप का अनुरोध करता हूं.
"मैं पूरी निराशा के लिख रहा हूं आपको पत्र"
उन्होंने कहा कि ''जिस तरह से सरकार 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए आगे बढ़ी है. उसके बारे में मैं पूरी निराशा के साथ आपको पत्र लिख रहा हूं. हमें यह सूचित किया गया था कि इस विशेष सत्र में वे सभी संसदीय काम नहीं होंगे जो संसद एक विधायिका के रूप में हमेशा करती रही है. इस सत्र में शून्य-काल, प्रश्नकाल या प्राइवेट बिल पेश नहीं होगे. संसद का काम सरकार को लोगों के प्रति जवाबदेह बनाए रखना है. संसद का यह विशेष सत्र क्या कार्यकारी संसद होगा. जो उस सदन की जगह लेगा जहां बहस, चर्चा और असहमति के लिए जगह होती थी"
"संसदीय प्रणाली को पूरी तरह से खत्म करना चाहती है सरकार"
विश्वम ने पत्र में आगे लिखा कि "जैसा कि हमने पिछले सत्रों में देखा सरकार ने सदस्यों को मणिपुर हिंसा, अदानी खुलासे और पेगासस जासूसी मुद्दे जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने से रोक दिया. साथ ही दूरगामी परिणामों वाले कई कानून जल्दबाजी में पारित किए गए. संसद को अप्रभावी बनाने के इन प्रयासों से सरकार यह स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि संसदीय बहुमत ने उन्हें संसदीय प्रणाली को पूरी तरह से खत्म करने में सक्षम बना दिया है. इरादा संसद को भक्त जन समिति बनाना है जिसमें चर्चा के लिए कोई जगह नहीं होगी"
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