Arunachal Pradesh News: अरुणाचल प्रदेश की एक स्पेशल कोर्ट ने 21 छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने वाले स्कूल हॉस्टल के आरोपी वॉर्डन को मौत की सजा सुनाई है. 2014 से 2022 के बीच वॉर्डन ने छात्राओं के साथ घिनौना काम किया था.
विशेष न्यायाधीश जावेप्लू चाई ने वॉर्डन को मौत की सजा सुनाने के साथ पूर्व प्रिंसिपल सिंगतुंग योरपेन और हिंदी शिक्षक मार्बोम नगोमदिर को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत अपराध को बढ़ावा देने और इसकी रिपोर्ट न करने के लिए 20 साल की सजा सुनाई है.
कुछ छात्रों ने योरपेन को दुर्व्यवहार की सूचना दी थी, लेकिन उन्होंने उन्हें चुप रहने के लिए कहा ताकि स्कूल की प्रतिष्ठा खराब न हो.
21 बच्चों के लिए कोर्ट मे पेश हुए वकील ओयम बिंगेप ने कहा कि कोर्ट के फैसले से हम खुश हैं. जिसको जितनी सजा मिलनी चाहिए थी कोर्ट ने वही फैसला सुनाया है.
उन्होंने आगे कहा कि भारत में पोक्सो अधिनियम के तहत किसी आरोपी को दी गई पहली मौत की सजा है, जिसमें पीड़ितों पर गंभीर यौन हमला किया गया, जबकि पीड़ितों की मृत्यु नहीं हुई थी.
योरपेन नाम के एक आरोपी को बरी कर दिया गया. उस पर एक छात्रा का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था लेकिन पीड़िता ने कोर्ट में अपना बयान बदल दिया, जिसके चलते कोर्ट ने उसे बरी कर दिया. वहीं, पर्टिन, जिस पर अपनी गिरफ्तारी से पहले छात्रावास के वार्डन को आश्रय देने का आरोप था, को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.
सरकारी स्कूल के हॉस्टल में छात्रों के साथ किए गए यौन उत्पड़ीन का मामला नवंबर 2022 में प्रकाश में आया था. एक व्यक्ति ने आवासीय विद्यालय में अपनी 12 वर्षीय जुड़वां बेटियों का यौन उत्पीड़न, उत्पीड़न और बलात्कार का प्रयास करने के लिए बागरा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.
मामले की जांच करने वाली SIT टीन ने पाया कि बागरा ने स्कूल में छात्रावास वार्डन के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान 2014 से 2022 के बीच 6-14 वर्ष की आयु के छह लड़कों सहित कम से कम 21 नाबालिगों का यौन उत्पीड़न किया.