सनातन पर विवादित बयानबाजी और अब राम मंदिर समारोह से दूरी, धारा के विपरित क्यों चल रही INDIA गठबंधन
इंडिया गठबंधन के नेता सनातन पर विवादित बयान दे रहे हैं. ऐसा जाहिर हो रहा है कि विपक्षी दल सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड अब खेलने के मूड में नहीं है.
Ram Mandir: 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह होने वाला है. रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे. बीजेपी इस कार्यक्रम के माध्यम से देश भर में लोकसभा चुनाव के लिए सियासी पिच तैयार कर रही है. देश भर के बड़ी हस्तियों को अयोध्या आने का न्योता दिया गया है. इस दिन को विषेश बनाने के लिए भाजपा पूरी ताकत झोंक देगी. बधुवार को जैसे ही कांग्रेस ने राम जन्म भूमि क्षेत्र ट्रस्ट का न्योता ठुकारा, बेजीपी ने कांग्रेस पर हमले करने शुरू कर दिए.
सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड फेल
इंडिया गठबंधन के नेता सनातन पर विवादित बयान दे रहे हैं. ऐसा जाहिर हो रहा है कि विपक्षी दल सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड अब खेलने के मूड में नहीं है. दरअसल, हाल ही में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेला, लेकिन उसे इस दांव के जरिए सफलता नहीं मिली. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस को कर्नाटक में एंटी बिहारी और एंटी सनातन का फायदा मिला था. यहीं फॉर्मूला तेलंगाना में चला.
कर्नटाक-तेलंगान में नुकसान का डर
अयोध्या को लेकर यह बात निकलकर आई कि एक फैसले से पार्टी को केरल में झटका लग सकता है. उसे चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा. कर्नाटक, तेलंगाना जैसे राज्यों में सीटें कम हो सकती हैं. फिलहाल, सारे प्रयोग के बाद कांग्रेस अब सॉफ्ट हिंदुत्व से किनारा करने लगी है. कांग्रेस की तरह ही अयोध्या को लेकर उसके सहयोगी गठबंधन दलों का रुख भी देखने को मिला है. अखिलाश यादल, लालू यादव, ममता बनर्जी सीताराम येचुरी भी अयोध्या ना जाने का ऐलान कर चुके हैं. शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे को अब तक निमंत्रण नहीं मिला है. इसलिए उन्होंने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.
कांग्रेस या इंडिया गंठबंधन को क्या फायदा क्या नुकसान होगा?
सवाल ये उठता है कि अयोध्या न जाने से कांग्रेस या इंडिया गंठबंधन को क्या फायदा क्या नुकसान होगा. अभी से भविष्य का आकलन करना ठीक नहीं होगा, फिर भी तीन महीने से भी कम समय में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी ने यह साफ कर दिया है कि वो राम मंदिर के मुद्दे को भुनाएगी और कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल को हिंदू विरोधी के रूप में प्रचारित करेगी. बीजेपी का एजेंडा साफ है.
कांग्रेस का काउंटर स्क्रिप्ट
इंडिया अलायंस में ज्यादातर पार्टियां खुद को धर्म निरपेक्ष कहती हैं. उनका अपना बड़ा वोट बैंक है. मुश्किल ये है कि अगर अयोध्या गए तब भी और नहीं गए तब भी बीजेपी सवाल उठाएगी. ऐसे में बीजेपी के किसी एजेंडे में फंसने से बेहतर अयोध्या मसले पर किनारा कर लिया जाए. कांग्रेस भी काउंटर की तैयारी में है. अयोध्या के कार्यक्रम में शामिल न होने की बड़ी वजह बताई है. चुनाव को देखते हुए अधूरे मंदिर का उद्घाटन करना. दूसरा- चारों शंकराचार्य का ना जाना और तीसरा- बीजेपी, आरएसएस, बजरंग दल और वीएचपी की इस पूरे कार्यक्रम में भूमिका. कांग्रेस का कहना है कि ये बीजेपी-आरएसएस का कार्यक्रम है?