Uttarakhand News: हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तरखंड में अपना खाता भी नहीं खोल पाई. राज्य की सभी 5 सीटों पर बीजेपी ने परचम लहराया. राज्य में इस करारी हार की वजह बताते हुए उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी (UPCC) ने कहा कि हो सकता है कि नेताओं के बीच समन्वय, सद्भाव और संचार की कमी के कारण पार्टी को यह हार मिली हो.
उपचुनावों के बाद शुरू होगा हार का आकलन
कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता पी एल पुनिया को उत्तराखंड में पार्टी की हार के कारणों को तलाशने की जिम्मेदारी सौंपी है. हालांकि पुनिया ने कहा है कि इसका आकलन 20 जुलाई को राज्य की दो विधानसभा बद्रीनाथ और मंगलौर में होने वाले उपचुनावों के बाद शुरू होगा.
हालांकि UPCC ने अपने स्तर पर पार्टी की हार के कारणों को तलाश करना शुरू कर दिया है. पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री नव प्रभात हार के कारणों को जानने के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों और ब्लॉक स्तर पर बैठकें कर रहे हैं.
लगातार तीसरी बार राज्य में सूपड़ा साफ
यह तीसरी बार है जब बीजेपी ने राज्य की सभी सीटों पर विपक्ष का सूरड़ा साफ किया है. इससे पहले 2017 और 2022 के चुनाव में भी बीजेपी ने सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
और खराब हुई कांग्रेस की हालत
मजे की बात ये है कि पिछली दो हार के बाद भी कांग्रेस की हालत सुधरने के बजाय और ज्यादा खराब हुई है. राज्य की सीटों पर कांग्रेस का वोटिंग प्रतिशत इस बार 32.83% रहा जो कि 2022 में 38% था. उस दौरान कांग्रेस ने राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से 19 सीटें जीती थीं. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए एक चौंकाने वाला पहलू यह भी रहा कि वह इन 19 विधानसभा क्षेत्रों में से 14 में पिछड़ गई. कांग्रेस को बाजपुर विधानसभा क्षेत्र में भी हार मिली जहां से राज्य की विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य आते हैं.
70 विधानसभा क्षेत्रों में से 63 में पिछड़ गई कांग्रेस
इसी प्रकार कांग्रेस को चकराता विधानसभा क्षेत्र में भी हार मिली जहां से कांग्रेस के पूर्व राज्य प्रमुख प्रीतम सिंह आते हैं जो वर्तमान में विधायक भी हैं. उन्हें इस बार लोकसभा का उम्मीदवार भी बनाया गया था जिसमें उन्हें तीसरा स्थान मिला. पार्टी राज्य के 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 63 में पिछड़ गई.
प्रमुख चेहरे हरीश रावत के बेटे भी हारे
हरीश रावत राज्य में पार्टी का सबसे प्रमुख चेहरा हैं. उनके बेटे वीरेंद्र ने हरिद्वार से चुनाव लड़ा था लेकिन वह 1.64 लाख वोटों से हार गये. उन्हें कुल मतों के 37.6 फीसदी वोट मिले. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीजेपी के लिए इस सीट से चुनाव जीता. पार्टी के एक नेता ने कहा कि अगर वीरेंद्र की जगह हरीश रावत इस सीट से चुनाव लड़ते तो दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बीच सीधा मुकाबला होता और वह इस सीट को जीत भी सकते थे.