जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद से विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है. सभी दल तैयारियों में जुट गई है. एनसी और कांग्रेस में चुनाव से पहले गठबंधन की घोषणा कर दी है. दोनों दलों के नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद ये फैसला लिया गया. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में एनसी-कांग्रेस गठबंधन को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने शनिवार को वादा किया कि अगर सहयोगी दल उनकी पार्टी के एजेंडे, मुख्य रूप से कश्मीर मुद्दे के समाधान को स्वीकार करते हैं तो वह जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी)-कांग्रेस गठबंधन का पूरी तरह से समर्थन करेंगी. महबूबा पीडीपी के घोषणापत्र को जारी करते हुए बोल रही थीं, जिसमें अन्य बातों के अलावा जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध हटाने और इसकी जब्त संपत्तियों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का वादा किया गया था.
एनसी-कांग्रेस गठबंधन का समर्थन करने के बारे में महबूबा का बयान पीडीपी द्वारा 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक तीन चरणों के चुनावों के लिए कुछ उम्मीदवारों के नाम घोषित करने के कुछ दिनों बाद आया है. इससे पहले, पीडीपी प्रमुख ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. महबूबा ने कहा, गठबंधन और सीट बंटवारे को भूल जाइए, अगर कांग्रेस और एनसी हमारे एजेंडे को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं कश्मीर मुद्दे का समाधान और मार्ग खोलना तो हम उन्हें सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कहेंगे.
महबूबा ने भाजपा के साथ चुनाव बाद किसी भी तरह के गठबंधन से इनकार किया, जिसके साथ उनकी पीडीपी ने 2014 में सरकार बनाने के लिए गठबंधन किया था. उन्होंने कहा, हमने जम्मू-कश्मीर की पहचान की रक्षा के लिए भाजपा के साथ गठबंधन किया था, लेकिन अब इसकी कोई संभावना नहीं है. महबूबा ने एनसी-कांग्रेस गठबंधन को कश्मीर मुद्दे को हल करने के लिए पीडीपी के रुख को अपनाने की चुनौती दी.
पीडीपी के घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने, शत्रु एजेंट अधिनियम, सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, और सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) जैसे कड़े कानूनों को रद्द करने के लिए कदम उठाने का वादा किया गया है. घोषणापत्र में 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने, एक नई खाद्य सुरक्षा योजना शुरू करने, पीओके के साथ व्यापार मार्ग खोलने और कश्मीरी पंडितों को आवास और भूमि के साथ समर्थन देने का भी वादा किया गया है. इसमें पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक पहल को फिर से शुरू करने की भी वकालत की गई है.