कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2024 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उनका दावा है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण है और उनके मौलिक अधिकारों का हनन करता है. जावेद, जो वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्य थे, ने याचिका में कहा कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है.
विधेयक पर गंभीर आरोप
संसद में पारित हुआ विवादास्पद विधेयक
वक्फ संशोधन विधेयक संसद में दो दिनों की तीखी बहस के बाद पारित हो गया. लोकसभा में इसे 288-232 और राज्यसभा में 128-95 मतों से मंजूरी मिली. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 2 अप्रैल को इसे पेश किया था. विपक्ष ने इसे "मुस्लिम विरोधी" और "असंवैधानिक" करार दिया, जबकि सरकार ने इसे "ऐतिहासिक सुधार" बताया.
कांग्रेस की कानूनी लड़ाई
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे "नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संविधान पर हमला" करार दिया और कहा, "हम इसका विरोध जारी रखेंगे." बीके हरिप्रसाद ने कहा, "यह विधेयक असंवैधानिक है. कांग्रेस इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी." पार्टी जल्द ही इसकी संवैधानिकता को चुनौती देगी.
विधेयक का उद्देश्य
यह विधेयक वक्फ बोर्डों को जिला कलेक्टरों के साथ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य करता है और वक्फ संपत्ति की पहचान का अधिकार कलेक्टर को देता है. देश में 30 वक्फ बोर्ड 9.4 लाख एकड़ पर फैली 8.7 लाख संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं.