Congress Zero Seats: दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी (AAP) को नकार दिया है और तीसरी बार लगातार कांग्रेस की सीटों की संख्या में कोई बदलाव नहीं आया है. दिल्ली विधानसभा में 70 सीटें हैं, लेकिन फिर भी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. हालांकि, दिल्ली ही नहीं, देश के कई अन्य राज्यों में भी कांग्रेस का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. इनमें से चार बड़े राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस के पास शून्य विधायक हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख राज्य शामिल हैं.
आंध्र प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास शून्य सीटें हैं जबकि आंध्र प्रदेश विधानसभा में 175 सीटें हैं. मई 2024 के चुनावों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली. पार्टी ने पूरी ताकत से चुनाव लड़ा, लेकिन कोई भी उम्मीदवार तीसरे स्थान से ऊपर नहीं आ सका और अधिकतर ने अपनी जमानत भी खो दी. वर्तमान में NDA गठबंधन के पास 164 विधायक हैं, जबकि विपक्षी YSR पार्टी के पास 11 विधायक हैं. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस 2014 तक आंध्र प्रदेश में सत्ता में थी.
पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस के पास शून्य सीटें हैं. यहां कांग्रेस ने मई 2021 के चुनावों में एक भी सीट नहीं जीती. पार्टी ने लेफ्ट फ्रंट के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन कोई जीत नहीं मिल पाई. पहली बार बंगाल में कांग्रेस का खाता नहीं खुला. तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में 224 सीटें जीत लीं, जबकि बीजेपी के पास 66 सीटें हैं. हालांकि, 2022 में कांग्रेस ने मुर्शिदाबाद की सागरदीघी सीट जीती थी, लेकिन बाद में वहां का विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गया.
सिक्किम में भी कांग्रेस का कोई प्रतिनिधित्व नहीं सिक्किम में 32 सीटें हैं, लेकिन कांग्रेस के पास यहां भी कोई सीट नहीं है. एक समय पार्टी यहां मजबूत थी, लेकिन अब सभी 32 सीटें सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) के पास हैं, जो बीजेपी के साथ गठबंधन में है.
नागालैंड में भी कांग्रेस के पास शून्य सीटें नगालैंड विधानसभा में 60 सीटें हैं, लेकिन कांग्रेस ने फरवरी 2023 के चुनावों में यहां भी कोई सीट नहीं जीती. NDPP के पास 25 विधायक हैं, बीजेपी के पास 12, और बाकी छोटी पार्टियों के पास शेष सीटें हैं. दिलचस्प बात यह है कि नगालैंड में सभी दल सरकार का हिस्सा हैं और विपक्ष नहीं है.
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में कांग्रेस के पास सिर्फ एक-एक सीट पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में कांग्रेस के पास सिर्फ एक-एक सीट है- अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम में. इसी तरह, मणिपुर और पुडुचेरी में पार्टी के पास दो-दो विधायक हैं. पुडुचेरी में कांग्रेस हाल ही में सत्ता में थी और मणिपुर में भी उसका महत्वपूर्ण प्रभाव था.
इस प्रकार, कांग्रेस को कई राज्यों में चुनावी हार का सामना करना पड़ा है, और पार्टी का देशभर में मजबूत पदचिन्ह ढूंढ़ना मुश्किल हो गया है.