How Kamalnath will Benefit BJP: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता कमलनाथ के विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कमलनाथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. लेकिन सवाल उठता है कि हाल ही में मध्य प्रदेश चुनावों में कांग्रेस को धूल चटाने वाली बीजेपी को कमलनाथ के दल बदल कराने से क्या फायदा होगा.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी के एक केंद्रीय नेता ने इस फैसले के पीछे अहम वजहें बताई हैं. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भी जब कांग्रेस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने पर अड़ी थी तब भी कमलनाथ ने सुझाव दिया था कि कांग्रेस को भी राम मंदिर के लिए भी श्रेय मिलना चाहिए. कमलनाथ ने कहा था कि जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब बाबरी मस्जिद के ताले खोले गए थे और उन्होंने ही शिलान्यास की अनुमति दी थी, बीजेपी एकमात्र श्रेय नहीं ले सकती. ऐसे में कांग्रेस मुक्त करने की चाह रखने वाली बीजेपी खुद को लगातार कांग्रेस युक्त क्यों कर रही है. आइये इसके पीछे का समीकरण समझते हैं-
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण के ठीक बाद कमलनाथ का पार्टी को छोड़कर बीजेपी में शामिल होना यह संदेश देगा कि कांग्रेस इतनी बुरी तरह से टूट चुकी है कि वो अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी नहीं टिका पा रही है. यह बीजेपी को देश की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में भी स्थापित करेगा, जो अपनी विपक्षी पार्टियों से काफी आगे है. इससे न सिर्फ कांग्रेस कमजोर होगी बल्कि उसके दिल को बंद किया जा सकता है.
बीजेपी नेताओं को उम्मीद है कि कमलनाथ के शामिल होने की घोषणा पार्टी की चल रही राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद जल्द ही आ जाएगी. अगर ऐसा होता है तो पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर कांग्रेस को कमलनाथ के फंड जुटाने के टैलेंट से भी हाथ धोना पड़ेगा जो कि उनकी आर्थिक कमजोरी को गर्त में धकेल देगा.
बीजेपी को उम्मीद है कि कमलनाथ न सिर्फ पार्टी में अपने बेटे नकुलनाथ के साथ आएंगे बल्कि अपने गढ़ छिंदवाड़ा से समर्थकों के साथ आएंगे. साथ ही जबलपुर और कुछ अन्य इलाकों से भी नेता बीजेपी का झंडा थाम सकते हैं. इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके करीबी नेताओं ने भी यही किया था और अगर फिर ऐसा होता है तो पहले से ही कमजोर पड़ी कांग्रेस को गहरा झटका लगेगा. पार्टी सूत्रों का मानना है कि कमलनाथ के जाने से मध्य प्रदेश में कांग्रेस का कोई क्षेत्रीय नेता नहीं बचेगा, जिससे बीजेपी को और मजबूती मिलेगी.
बीजेपी के कुछ नेताओं का मानना है कि कमलनाथ अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए यह कदम उठा रहे हैं. हालिया चुनावों में हार के बाद 80 साल की उम्र में अपनी विरासत को बनाए रखने के लिए बीजेपी उनके लिए बेहतर मंच हो सकता है. यहां उनकी संतान को आगे बढ़ाने का भी बेहतर मौका मिल सकता है. बीजेपी के एक अंदरूनी सूत्र के अनुसार कांग्रेस हमेशा 3-4 ग्रुप में बंटी रही है. जहां अब स्वर्गीय अर्जुन सिंह की विरासत फीकी पड़ गई है, तो वहीं पर दिग्विजय सिंह अपने हिंदुत्व टिप्पणियों के कारण "हिंदुओं के बीच बदनाम" हो गए हैं, ज्योतिरादित्या सिंधिया पहले से ही बीजेपी में हैं और अब अगर कमलनाथ भी पार्टी छोड़ देते हैं तो कांग्रेस के पास मध्य प्रदेश में कोई क्षेत्रीय नेता नहीं बचेगा. ऐसे में कांग्रेस के लिए अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाना सबसे बड़ा सवाल साबित हो सकता है.
गौरतलब है कि कमलनाथ कांग्रेस में ही नरम हिंदुत्व की कोशिश करने वाले नेताओं में से एक रहे हैं. उनकी विचारधारा बीजेपी से मेल खाती है, इसलिए उनके आने से पार्टी को कोई वैचारिक टकराव नहीं झेलना पड़ेगा. अब सवाल ये है कि ये अटकलें सच साबित होंगी या नहीं? कमलनाथ बीजेपी का दामन थामेंगे या नहीं? और अगर थामेंगे तो बीजेपी को वाकई कितना फायदा होगा? इसका जवाब तो आने वाला समय ही देगा. लेकिन इतना तय है कि कमलनाथ के इस कदम के राजनीतिक गलियारों में जोरदार चर्चा है और ये भारतीय राजनीति को प्रभावित कर सकता है.