menu-icon
India Daily

घाटी के पिछड़े वर्ग में आरक्षण खत्म होने का डर, कांग्रेस-NC के गठबंधन से मंडराया खतरा

कांग्रेस पार्टी की पिछड़े वर्गों के प्रति दमनकारी नीतियां कई दशकों से जारी हैं. इंदिरा गांधी द्वारा मंडल आयोग की सिफारिशों को नकारने से लेकर राहुल गांधी की वर्तमान नीतियों तक, कांग्रेस ने हमेशा पिछड़ों के अधिकारों को नजरअंदाज किया है.

auth-image
Edited By: India Daily Live
congress
Courtesy: x

कांग्रेस पार्टी की पिछड़े वर्गों के प्रति दमनकारी नीतियां कई दशकों से जारी हैं. इंदिरा गांधी द्वारा मंडल आयोग की सिफारिशों को नकारने से लेकर राहुल गांधी की वर्तमान नीतियों तक, कांग्रेस ने हमेशा पिछड़ों के अधिकारों को नजरअंदाज किया है. हाल ही में, राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के घोषणापत्र का समर्थन किया, जिसमें दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण खत्म करने का प्रस्ताव है.

इस घोषणापत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में आते हैं, तो वे जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति की समीक्षा करेंगे. इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST), और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) को दिए गए नए अधिकारों पर खतरा मंडरा सकता है.

अधिकारों के प्रति विरोध कांग्रेस की पुरानी परंपरा

कांग्रेस का पिछड़े वर्गों और दलितों के अधिकारों के प्रति विरोध एक पुरानी परंपरा है. दशकों से पार्टी ने उन सुधारों को रोका है जो इन समुदायों के लिए आवश्यक थे. चाहे वह नेहरू का डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति विरोध हो या इंदिरा गांधी का मंडल आयोग को नजरअंदाज करना, कांग्रेस ने हमेशा सामाजिक न्याय के मुद्दों पर दोहरापन दिखाया है.

पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. भीमराव अंबेडकर के बीच दलित अधिकारों और आरक्षण पर गहरे मतभेद थे. 1952 और 1954 के चुनावों में, नेहरू ने व्यक्तिगत रूप से अंबेडकर के खिलाफ प्रचार किया, जिससे अंबेडकर को हराने की कोशिश की गई. हालांकि, जनसंघ के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अंबेडकर को राज्यसभा में भेजने में मदद की, जिससे नेहरू की नीतियों की तीव्र आलोचना हुई.

नेहरू का आरक्षण और सामाजिक न्याय के प्रति नकारात्मक रुख 1956 में काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को ठुकराने से स्पष्ट होता है. इसके बाद, 1961 में, नेहरू ने चिंता व्यक्त की कि आरक्षण से कार्यक्षमता में कमी आएगी. यह उनके पूर्वाग्रह को और भी स्पष्ट करता है, जो दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के खिलाफ था.