नई दिल्ली: कावेरी नदी जल विवाद पर बोलते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि बीजेपी को तमिलनाडु के साथ कावेरी जल बंटवारा विवाद पर राजनीति करने से बचना चाहिए. पत्रकारों से मुखातिब होते हुए सीएम सिद्धारमैया ने बड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि "हम तमिलनाडु को खुशी से पानी नहीं छोड़ रहे हैं. प्राधिकरण के आदेश के कारण हम अनिवार्य रूप से पानी छोड़ रहे थे. तमिलनाडु ने बिना किसी कारण के सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है. हम अपनी दुर्दशा को फिर से बताएंगे. बीजेपी को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
CM सिद्धारमैया ने PM मोदी से मुलाकात का मांगा समय
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने अपने बयान में आगे कहा कि हम प्रधानमंत्री के पास एक प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए तैयार हैं. हमें इसके लिए कोई तारीख भी नहीं मिल रही है. दरअसल सीएम सिद्धारमैया सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ पीएम मोदी से मिलने के लिए समय मांग रहे हैं. दस दिन पहले हुई सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम ने पत्र लिखकर पीएम मोदी से मिलने का समय मांगा था लेकिन अब तक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है.
कावेरी जल विवाद पर जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था आदेश
दरअसल बीती 17 अगस्त को कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने कर्नाटक सरकार को अगले 15 दिनों के लिए पड़ोसी राज्य के लिए कावेरी नदी से 10,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया. ये आदेश तब आया था जब तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर कर्नाटक के जलाशयों से प्रतिदिन 24,000 क्यूसेक पानी छोड़े जाने की मांग की थी. कर्नाटक सरकार ने भी तमिलनाडु के आवेदन का विरोध करते हुए एक सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया और कहा कि आवेदन इस धारणा पर आधारित है कि यह वर्ष सामान्य वर्षा जल वर्ष है.
बीते दिनों तमिलनाडु सरकार की तरफ से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि "उसके पास इस मुद्दे पर कोई विशेषज्ञता नहीं है और कर्नाटक द्वारा की गई जल निकासी की मात्रा पर कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) से रिपोर्ट मांगी थी. न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सीडब्ल्यूएमए से कहा कि वह कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल-बंटवारे विवाद में अगले पखवाड़े के लिए पानी छोड़ने का फैसला करें जिसकी 28 अगस्त को बैठक हुई थी.
पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई ने राज्य सरकार को दी सलाह
इससे पहले कर्नाटक के पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा था कि कर्नाटक सरकार को अपने रुख पर कायम रहने की जरूरत है और तमिलनाडु के साथ पानी साझा करना बंद कर देना चाहिए. बोम्मई ने कहा कि "कावेरी के बैकवाटर में शायद ही पानी है। मुझे लगता है कि सरकार को बहुत दृढ़ होना होगा, पानी रोकना होगा और देखना होगा कि वे सुप्रीम कोर्ट को समझाएं और कर्नाटक की दयनीय स्थिति और तमिलनाडु द्वारा पानी के अत्यधिक उपयोग के बारे में बताएं"
जानें क्या है कावेरी नदी जल विवाद
यह मामला दशकों से कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक विवादास्पद मुद्दा रहा है और कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर उनके बीच लड़ाई चल रही है. जो क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए सिंचाई और पीने के पानी का एक प्रमुख स्रोत है. केंद्र ने जल-बंटवारे की क्षमताओं के संबंध में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और पुडुचेरी के बीच विवादों का निपटारा करने के लिए 2 जून, 1990 को कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) का गठन किया था.