Maharashtra News: चुनावों से पहले सरकारें हर समुदाय के लिए ऐलान करने लगती है. कुछ ऐसा ही इन दिनों महाराष्ट्र में हो रहा है. राज्य में अगले कुछ महीनों में विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं. इससे पहले सियासी दलों के साथ ही सरकार दांव लगाने लगी है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने हफ्ते में दूसरी बार जैन समुदाय के लिए बड़ा ऐलान किया है. आइये जानें आखिर सरकार के इन दो फैसलों के पूछे क्या रणनीति है और महाराष्ट्र की राजनीति में जैन समुदाय की हिस्सा कितना है?
बता दें पहले हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के साथ ही महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावों की संभावना था. हालांकि, जब चुनाव आयोग ने तारिखों का ऐलान किया तो ये साफ हो गया कि इन राज्यों में चुनाव बाद में कराए जाएंगे. अब पूरी संभावना है कि साल बीतने से पहले इन राज्यों में भी मतदान हो जाएगा.
महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने शुक्रवार को अपने मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक में जैन समुदाय के लिए आर्थिक कल्याण बोर्ड बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी. इस बैठक में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अंतर्गत आने वाले बारी, तेली, हिंदू खटीक और लोणारी जैसे समुदायों के लिए भी वित्तीय विकास निगम स्थापित करने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही, बौद्ध समुदाय के सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थानों को 10 लाख रुपये तक की सहायता राशि देने का फैसला भी लिया गया है.
यह शिंदे सरकार की दूसरी बड़ी पहल है, जो दो हफ्तों के भीतर कल्याण बोर्ड से जुड़ी हुई है. इससे पहले 23 सितंबर को सरकार ने क्षत्रिय और ब्राह्मण समुदायों के लिए भी कल्याण बोर्ड की मंजूरी दी थी. आइये जानें इस फैसलों की अहमियत क्या है?
2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में जैन समुदाय की कुल आबादी 1.25% है, जो देश में सबसे ज्यादा है. राज्य में 14 लाख जैन लोग रहते हैं. इसके बाद दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों का स्थान आता है. मुंबई की आबादी का चार प्रतिशत हिस्सा जैन समुदाय से है, जो इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाता है. विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, शिंदे सरकार इस समुदाय को साधने का प्रयास कर रही है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई बैठक में गावठाण क्षेत्रों के बाहर स्थित आवासीय, व्यावसायिक और औद्योगिक भवनों पर गैर-कृषि कर माफ करने का फैसला लिया गया. गावठाण का मतलब गांव का मध्य क्षेत्र होता है, जिसमें घर, दुकानें, मंदिर, स्कूल आदि होते हैं.
कैबिनेट ने पर्यटन विभाग के उस प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है, जिसमें प्राचीन और ऐतिहासिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने पर सजा और जुर्माने की राशि को बढ़ाने की बात कही गई है. अब जेल की सजा दो साल तक हो सकती है और जुर्माना 1 लाख रुपये तक बढ़ाया गया है, जबकि पहले यह सजा तीन महीने की थी और जुर्माना 5,000 रुपये था.
शिंदे सरकार ने 104 आईटीआई के नाम बदलने, खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि में वृद्धि करने, और कोंकण व पुणे डिवीजनों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की एक-एक कंपनी आवंटित करने के फैसले भी लिए हैं. ये कंपनियां क्रमशः नवी मुंबई और दौंड में तैनात की जाएंगी. इसके लिए 428 पदों को मंजूरी दी गई है, जिन पर 37 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.