CM Atishi wrote letter to Home Minister Amit Shah on Rohingya migrants: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा. उन्होंने दिल्ली में बसे रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा उठाया और केंद्रीय गृह मंत्री हरदीप पुरी द्वारा इस मुद्दे पर किए गए सोशल मीडिया पोस्ट पर सवाल उठाए. दिल्ली की सीएम आतिशी का कहना है कि हरदीप पुरी ने 2022 में स्वीकार किया था कि रोहिंग्यों को केंद्र सरकार ने बसाया है.
इससे पहले हरदीप सिंह पुरी ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा था, "जब से दिल्ली में अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं के खिलाफ अभियान शुरू हुआ है तब से पनाह देने वालों का दर्द और बढ़ गया है."
Aam Aadmi Party continues with its politics of diversion, false narratives and half truths. Facts and actual position on illegal Rohingya migrants were immediately clarified through a tweet on the same day which they selectively chose to ignore, and continue to do so.
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) December 15, 2024
No… https://t.co/baPpy2TWWT
हरदीप पुरी ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया कि दिल्ली की सरकार ने अवैध रोहिंग्यों को मुफ्त में बिजली, पानी और ₹10,000 देने वाले केजरीवाल जी एक बार फिर दिल्ली के लोगों को गुमराह करने में जुटे हैं. अब उनके इसी पोस्ट को लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली की जनता का हक मारकर रोहिंग्या को दे रही है और सरकार भारत-बांग्लादेश बॉर्डर की सुरक्षा करने में नाकाम रही है.
Delhi Election Battle - दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर
— ASHUTOSH MISHRA (@JournoAshutosh) December 15, 2024
दिल्ली में रोहिंग्ययों को बसाने का मुद्दा उठाया और
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के ट्वीट पर सवाल उठाए।
दिल्ली CM का कहना है कि केंद्रीय मंत्री हरदीप पूरी ने 2022 में स्वीकारा कि रोहिंग्या को…
दिल्ली विधानसभा को लेकर राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे आरोप और प्रत्यारोप लगा रही हैं. अगले साल की शुरुआती महीनों में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है. दरअसल, इस समय में बांग्लादेश में वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ हो रहे मुद्दे को उठाकर राजनीतिक दल खुद को सत्ता में लाने की कोशिश कर रहे हैं.