Citizenship Amendment Act: नागरिकता संसोधन एक्ट के नियमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर आज सुनवाई होगी. याचिकाओं में नागरिकता संशोधन नियम, 2024 के इम्प्लिमेंटेशन (कार्यान्वयन) पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में ये भी कहा गया है कि CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला लंबित है, इसलिए डिसिजन आने तक CAA इम्प्लिमेंटेशन पर रोक लगाई जाए. CJI ने कहा था कि हम इस पर मंगलवार को सुनवाई करेंगे. 190 से अधिक मामले हैं. उन सभी की सुनवाई की जाएगी. हम आईए (अंतरिम आवेदन) के साथ एक पूरा बैच रखेंगे.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल की दलीलों पर ध्यान दिया कि एक बार प्रवासी हिंदुओं को भारतीय नागरिकता प्रदान कर दी गई है। वापस नहीं लिया जा सकता, इसलिए शीघ्र सुनवाई आवश्यक थी।
केंद्र सरकार की ओऱ से पूरे देश में लागू CAA पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देता है. इसका उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों समेत सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को अपनाना है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हैं.
केंद्र सरकार की ओऱ से CAA लागू करने के एक दिन बाद, केरल के राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. न्यूज एजेंसी ANI ने बताया कि IUML ने मांग की कि विवादित क़ानून और नियमों पर रोक लगाई जाए. याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए जो इस कानून के लाभ से वंचित हैं.
IUML के अलावा, अन्य पार्टियों और व्यक्तियों जैसे डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI), असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैका, असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक और अन्य ने भी याचिकाएं दायर की हैं.
IUML ने इससे पहले भी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष CAA को चुनौती दी थी. ऐसा करने वाली राजनीतिक पार्टियों में से IUML एक थी. IUML के अनुसार, ये पूरी तरह से धार्मिक पहचान पर आधारित स्पष्ट रूप से मनमाना और भेदभावपूर्ण शासन लागू करता है.
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं की स्थिति पर संदेह जताया. तुषार मेहता ने कहा कि किसी भी याचिकाकर्ता के पास नागरिकता देने पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि CAA के खिलाफ 237 याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें चार अंतरिम आवेदन हैं जिनमें नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की गई है.
इस बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. ओवैसी की ओर से पेश वकील निज़ाम पाशा ने कहा कि उन्होंने 2019 में एक आवेदन दायर किया था जब अधिनियम संसद में पारित हुआ था.