Citizenship Amendment Act: दो दिन बाद कभी भी लागू हो सकता है CAA, क्या केंद्र सरकार ने पूरी कर ली है तैयारी?

Citizenship Amendment Act: भारत के तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पेश किया था.

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Citizenship Amendment Act: तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आकर भारत में बसने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने वाला नागरिकता संशोधन अधिनियम दो दिन बादग यानी मार्च में कभी भी लागू हो सकता है. सूत्रों ने बताया है कि ऑनलाइन पोर्टल रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से ड्राई रन पहले ही किया जा चुका है.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीएए इन पड़ोसी देशों के उन शरणार्थियों की मदद करेगा, जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं हैं. मंत्रालय को लंबी अवधि के वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले हैं. लंबी अवधि के वीजा देने की शक्तियां पहले ही जिला अधिकारियों को दे दी गई हैं.

सभी राज्यों के जिलाधिकारियों को दी गई हैं शक्तियां

पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई थीं. केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल, 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के कुल 1,414 गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत रजिस्ट्रेशन करके भारतीय नागरिकता दी गई थी.

साल 2019 में बड़े स्तर पर हुए थे विरोध प्रदर्शन

देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच साल 2019 में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम ने पहली बार धर्म को भारतीय नागरिकता की परीक्षा बना दिया था. सरकार ने तर्क दिया कि वह तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी देशों से गैर-मुस्लिम शरणार्थियों की मदद करेगी. यदि वे धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत भाग आए हैं. आलोचकों ने कहा था कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है और संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.

कोविड के कारण रुक गई थी प्रक्रिया

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर सीएए, एनआरसी और एनपीआर ने साल 2019 में देशभर में विरोध प्रदर्शनों की आंधी ला दी थी. हालांकि इस दौरान कोविड महामारी ने सब कुछ रोक दिया था. विरोध प्रदर्शन खत्म होने के बाद इसे देशभर में लागू किया जाना था.