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'मैं मंत्री पद छोड़ने से हिचकिचाउंगा नहीं अगर...', क्यों चिराग पासवान ने कही मंत्री पद से इस्तीफा देने की बात

Chirag Paswan: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पटना में एससी\ एसटी बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अगर यदि आरक्षण के साथ छेड़छाड़ की गई या फिर संविधान से कुछ छेड़छाड़ की गई तो उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देने में एक सेकेंड का भी समय नहीं लगेगा.

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Edited By: India Daily Live
Chirag Paswan
Courtesy: ANI

Chirag Paswan: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने मंगलवार को ऐसा बयान दिया कि एनडीए के घटक दलों में खलबली मच गई. उन्होंने कहा कि संविधान या आरक्षण के साथ छेड़छाड़ की गई या वंचित वर्गों के लोगों के साथ कोई अन्याय हुआ तो उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देने में एक मिनट का भी समय नहीं लगेगा. 

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता ने पटना में पार्टी के SC/ST बैठक के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "अगर आरक्षण और संविधान के साथ छेड़छाड़ की गई तो मैं अपने पिता की तरह अपना मंत्री पद छोड़ने में संकोच नहीं करूंगा."

पहले कही मंत्री पद छोड़ने की बात फिर दी सफाई

चिराग पासवान ने बाद में अपनी सफाई में कहा कि वह कांग्रेस नीत यूपीए का जिक्र कर रहे थे. समाचार एजेंसी पीटीआई ने उनके हवाले से कहा, "मेरे पिता भी यूपीए सरकार में मंत्री थे. और उस समय बहुत सी ऐसी चीजें हुईं जो दलितों के हितों के लिए हानिकारक थीं. यहां तक ​​कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीरें भी नहीं लगाई जाती थीं. इसलिए हमने अपने रास्ते अलग कर लिए."

चिराग पासवान ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री रहेंगे तब तक वह एनडीए में रहेंगे. 

पासवान ने कहा कि मौजूदा बीजेपी-एनडीए सरकार दलितों के बारे में उनकी चिंताओं के प्रति संवेदनशील रही है, और उन्होंने क्रीमी लेयर और नौकरशाही में लेटरल एंट्री पर केंद्र के रुख का उदाहरण दिया.

क्या बीजेपी से है LJP की तकरार

LJP (राम विलास पासवान) और बीजेपी के बीच संभावित दरार के बारे में अटकलें कुछ समय से चल रही हैं. हालांकि, एलजेपी नेता ने बार-बार इन अफवाहों को सिरे से खारिज किया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, "नरेंद्र मोदी के लिए मेरा प्यार अटूट है. जब तक वे प्रधानमंत्री हैं, मैं उनसे अविभाज्य हूं. वास्तव में, मेरे विचार हमेशा सरकार के रुख को दर्शाते हैं. इसका एक उदाहरण वक्फ विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजना है."