भारत और चीन के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं. 2020 में गलवान घाटी में गई झड़प के बाद से सीमा पर अक्सर तनातनी देखी गई. गलवान में भारतीय सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के बीच सीमा संघर्ष के बाद से भारत द्वारा चीनी नागरिकों को जारी किए गए वीजा की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है. गलवान में कर्नल संतोष बाबू सहित बीस भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र पर पीएलए के कब्जे की कोशिश को पीछे धकेलते हुए गलवान में शहीद हो गए. इस झड़प में कई चीनी सैनिक भी मारे गए.
एचटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी और 15 जून, 2020 के गलवान संघर्ष से पहले 2019 में चीनी नागरिकों को लगभग 200,000 वीजा जारी किए गए थे और भारत में चीनी निवेश की संरचनात्मक जांच के बाद 2024 में यह संख्या घटकर सिर्फ 2,000 रह गई. हालांकि, पिछले आठ महीनों में सरकार ने चीनी नागरिकों को लगभग 1,500 वीज़ा जारी किए हैं जिनमें से लगभग 1,000 वीज़ा भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की मांगों को पूरा करने के लिए हैं. ऐसे 1,000 वीज़ा पाइपलाइन में हैं, जिनमें से ज़्यादातर गहन जांच के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए हैं.
चीन से व्यापार भी घटा है. भारत जनवरी-मई 2024 के बीच चीन को केवल 8.93 अरब डॉलर का माल निर्यात कर सका, जबकि बीजिंग से 47 अरब डॉलर का सामान आयात किया गया. इसके बावजूद कि सरकार ने कॉर्पोरेट आयकर में कमी की और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक दर्जन क्षेत्रों में 2 लाख करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की. पांच शीर्ष अधिकारियों के अनुसार, गलवान के बाद चीनी निवेश की संरचनात्मक जांच से पता चला है कि वीवो जैसी चीनी दूरसंचार कंपनियां भारतीय कानूनों का उल्लंघन कर रही थीं, और प्रवर्तन निदेशालय ने उन पर भारतीय करों से बचने के लिए चीन में पैसा भेजने का आरोप भी लगाया था. ईडी ने वीवो पर अपने अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा वीजा शर्तों के उल्लंघन के अलावा लगभग 13 बिलियन डॉलर वापस चीन भेजने का आरोप लगाया.
2020 में हुई एलएसी में हुई घटना के बाद भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध ठीक नहीं हैं. चीन सीमा पर कई बार घुसपैठ की कोशिश कर चुका है. कई दौर के बैठक के बाद भी पीएलए अभी भी एलएसी से पीछे नहीं हटा है और पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति बहाल नहीं कर पाया है. गलवान के चार साल बाद, चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में पूरी ताकत के साथ तैनात है.
हिंद महासागर क्षेत्र में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है. चीनी स्पाई जहाज साल भर इस क्षेत्र में तैनात रहते हैं. गुरुवार को भी चीनी बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर युआन वांग 7 को कन्याकुमारी से 1,000 किलोमीटर दक्षिण में तैनात किया गया था और पीएलए नौसेना के एंटी-पायरेसी बलों को जिबूती, अदन की खाड़ी और मेडागास्कर चैनल में तैनात किया गया था.