Amit Shah: गृह मंत्री अमित शाह एनडीए के दूसरे कार्यकाल के अपने अंतिम भाषण में 30 मिनट बोले. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत ने चीन को एक भी इंच जमीन नहीं दी है. शनिवार को अपने दावे को दोहराते हुए अमित शाह ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ महीनों से चले आ रहे सैन्य गतिरोध में भारत ने किसी भी क्षेत्र को नहीं खोया है.
पीटीआई के मुताबिक गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि चीन ने वही करने की कोशिश की जो उसने 1962 में किया था. लेकिन हमारे नेतृत्व ने संकल्प दिखाया और भारत की एक इंच भी जमीन नहीं खोई. भारत और चीन के बीच मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सीमा विवाद चल रहा है. भारत सरकार शुरुआत से कह रही है कि भारत ने चीन के हाथों कोई जमीन नहीं गंवाई. हालांकि, विपक्षी नेता राहुल गांधी कई मौकों पर इस मुद्दे को उठा चुके हैं. बता दें कि 15 जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सेना के बीच झड़प हुई थी.
China tried to do what it did in 1962; our leadership displayed resolve and not an inch of India's land was lost: Amit Shah in Lok Sabha
— Press Trust of India (@PTI_News) February 10, 2024
अमित शाह ने राम मंदिर पर होलते हुए कहा कि, जो वर्षों से कोर्ट के कागजों में दबी हुई थी. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उसे आवाज भी मिली और अभिव्यक्ति भी मिली. उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का दिन 10 सहस्त्र सालों के लिए ऐतिहासिक दिन बनने वाला है. ये सबको समझना चाहिए. जो इतिहास को नहीं पहचानते हैं, वो अपने वजूद को खो देते हैं. 22 जनवरी का दिन 1528 में शुरू हुए एक संघर्ष और एक आंदोलन के अंत का दिन है. 1528 से शुरू हुई न्याय की लड़ाई इस दिन समाप्त हुई.
उन्होंने कहा कि इस देश की कल्पना राम और रामचरितमानस के बिना नहीं की जा सकती. राम का चरित्र और राम इस देश के जनमानस का प्राण है. जो राम के बिना भारत की कल्पना करते हैं, वो भारत को नहीं जानते. राम प्रतीक हैं कि करोड़ों लोगों के लिए आदर्श जीवन कैसे जीना चाहिए, इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत की संस्कृति और रामायण को अलग करके देखा ही नहीं जा सकता. कई भाषाओं, कई प्रदेशों और कई प्रकार के धर्मों में भी रामायण का जिक्र, रामायण का अनुवाद और रामायण की परंपराओं को आधार बनाने का काम हुआ है. राम मंदिर आंदोलन से अनभिज्ञ होकर कोई भी इस देश के इतिहास को पढ़ ही नहीं सकता.