चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के आसपास वाले इलाकों में खुदाई कर रही है. चीन, इस इलाके में अपने सैन्य ढांचे का निर्माण करना चाहता है. सैटेलाइट तस्वीरों इशारा कर रही हैं कि इन इलाकों में चीन, भूमिगत बंकर, हथियार और पेट्रोलियम भंडारण की पूरी प्लानिंग तैयार कर रहा है. चीन ने यहां मजबूत सैन्य ढांचों का निर्माण किया है, जिससे इस इलाके में भारत की मुश्किलें बढ़ाई जा सकें.
पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर पहाड़ों के बीच सिरजाप स्थित यही है. यही इलाका पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का अड्डा है. जो सैनिक, पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में तैनात हैं, यही जगह उनका मुख्यालय है. यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से महज 5 किलोमीटर दूर है.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मई 2020 में LAC पर भीषण गतिरोध शुरू होने से पहले इस इलाके में कोई भी मानव निर्मित संरचनाएं नहीं थीं, अब यहां मजबूत आर्मी बेस बनता नजर आ रहा है. 30 मई की एक तस्वीर में यह सामने आया है कि यहां एक बड़ा भूमिगत बंकर बन गया है, इसमें 8 ढलानदार एंट्री गेट, साफ तौर पर झलक रहे हैं. एक बंकर ऐसा है, जिसमें 5 एंट्रीगेट हैं. यह बड़े बंकर के ठीक पास में बना है.
चीन के सैन्य हेडक्वार्टर के लिए बड़ी इमारतें बनाई गई हैं. बेस इलाके में बख्तरबंद गाड़ियों के लिए जमीन में पार्किंग बनाई गई है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन, अपने इस इलाके में उन्हीं गाड़ियों पर लगे एयर डिफेंस हथियारों के इस्तेमाल से हवाई हमलों से आसानी से बच सकेंगे.
ब्लैकस्काई के एक एक्सपर्ट का दावा है, 'बेस में कई बख्तरबंद गाड़ियां रखी गई हैं. वहां मजबूत स्टोरेज सिस्टम है. टेस्टिंग इंजन, ईंधन, गोला-बारूद और हथियारों का जखीरा तैनात है. सड़कों को खाइयों के जरिए कनेक्ट किया गया है. ये आमतौर पर किसी भी सेटेलाइट की नजरों से बचे रहते हैं.
चीन सेना का ये बेस गलवान घाटी से करीब 120 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में है. जून 2020 में भारतीय सेना और चीन सेना के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए थे, चीन ने अपने मारे गए जवानों के बारे में कुछ भी नहीं बताया था. चीन इस इलाके में भूमिगत विकास कर रहा है, जिसे सैटेलाइट से ट्रैक न किया जा सके. आज सैटेलाइट इमेज से हर इलाके को ट्रैक किया जा सकता है लेकिन चीन की इस रणनीति की वजह से अब वहां की गतिविधियों पर नजर रखना मुश्किल होगा.
पैंगोंग के अलावा, तिब्बत के सबसे बड़े शहर में शिगास्ते एयर बेस और डोकलाम ट्राई जंक्शन पर चीन ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं. साल 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 73 दिनों तक भीषण गतिरोध चला था. जनवरी में सैटेलाइट तस्वीरों में शिगात्से एयरबेस पर चीन के स्टील्थ फाइटर जेट, चेंगदू J-20 के 6 से ज्यादा की संख्या में मंडराते नजर आए थे.
30 मई को ब्लैकस्काई की तस्वीर में सेंट्रल एप्रन पर 8 फाइटर जेट और 6 J-20 जेट नजर आए थे. शिगात्से बेस, पश्चिम बंगाल में भारतीय वायुसेना के बेस से करीब 300 किलोमीटर दूर है. यहां राफेल फाइटर जेट का स्क्वार्ड्रन है. विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ने J-20 विमानों को सिर्फ इसलिए तैनात किया है क्योंकि भारत ने राफेल तैनात किया है.चीन ने कुछ J-20 को झिंजियांग में भी तैनात किया है. चीन लगातार दबाव बढ़ा रहा है. हालांकि भारत की नजर, इन हरकतों पर पहले से है.