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India Daily

छत्तीसगढ़: 4,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में कैसे फंसे भूपेश बघेल, ED ने कांग्रेस के पूर्व CM पर क्यों कसा शिकंजा?

ईडी की जांच के इस नए मोड़ के साथ, यह घोटाला राजनीतिक रूप से भी बड़ा असर डाल सकता है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर बढ़ते दबाव के बीच, यह विवाद और भी तेज हो सकता है.

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Edited By: Mayank Tiwari
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
Courtesy: X@bhupeshbaghel

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही है. इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार (10 मार्च) को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में 14 स्थानों पर छापेमारी की. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के आवासीय और अन्य परिसरों को भी शामिल किया गया. यह कार्रवाई राज्य के कथित शराब घोटाले की जांच के हिस्से के रूप में की गई.

ED के सूत्रों के अनुसार, चैतन्य बघेल पर आरोप है कि उन्होंने शराब घोटाले से मिली अपराधी धनराशि को प्राप्त किया. इस घोटाले में लगभग 2,161 करोड़ रुपये की धनराशि कथित तौर पर कई धोखाधड़ी योजनाओं के माध्यम से हड़पी गई. छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की कुल राशि अब लगभग 4,000 करोड़ रुपये के आसपास है, और ED जांच में नए सुराग सामने आए हैं.

पूर्व मंत्री की गिरफ्तारी और नए आरोप

यह कार्रवाई राज्य के पूर्व उत्पाद शुल्क मंत्री कावसी लकमा की जनवरी में गिरफ्तारी के लगभग एक महीने बाद हुई है. जहां लकमा की गिरफ्तारी के बाद भूपेश बघेल और उनके परिवार पर जांच का दायरा बढ़ा. ED के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह छापेमारी बघेल और उनके परिवार के साथ-साथ चैतन्य और उनके करीबी सहयोगियों, जैसे कि लक्ष्मी नारायण बंसल (पप्पू बंसल) से जुड़े संपत्तियों और अन्य लोगों पर केंद्रित थी.

2023 में शुरू हुई ED की जांच

2023 में ED ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की जांच शुरू की थी, जब राज्य में शराब खरीद प्रक्रिया में अनियमितताओं को लेकर दो शराब कंपनियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जांच में यह खुलासा हुआ कि तीन डिस्टलरी मालिकों और सरकारी अधिकारियों के समूह ने मिलकर सरकार को लगभग 3,800 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया.

छत्तीसगढ़ में शराब कोराबार और सरकार का भूमिका

छत्तीसगढ़ सरकार के स्वामित्व वाली शराब की दुकानें राज्य में शराब बेचती हैं, और पहले राज्य में निजी दुकानों का प्रावधान नहीं था. राज्य में कुल 672 सरकारी शराब दुकानें हैं, जो औसतन प्रति दिन 28-32 करोड़ रुपये का बिक्री राजस्व पैदा करती हैं. हालांकि, अवैध शराब सिंडिकेट ने कथित तौर पर व्यापारी-राजनीतिक-ब्यूरोक्रेट गठजोड़ के माध्यम से राज्य में बिना पंजीकरण और बिना प्रक्रिया वाली शराब बेचना शुरू कर दिया.

पिछली गिरफ्तारी और ED की कार्रवाई

ED ने उत्पाद शुल्क विभाग के विशेष सचिव अरुण पाटी त्रिपाठी को इस मामले में गिरफ्तार किया, जो जांचकर्ताओं के अनुसार, शराब नीति को इस गठजोड़ के अनुसार बदलने में शामिल थे. ED ने राज्य में दो वरिष्ठ IAS अधिकारियों, अनिल तुतेजा और रानू साहू से भी पूछताछ की, जो राज्य में सेवा दे रहे हैं.