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9 साल की बच्ची के शव के साथ की दरिंदगी, हाईकोर्ट ने रेप केस में क्यों किया बरी, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए छोटी बच्ची के शव के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को बरी किया. अन्य धाराओं के तहत ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को हाई कोर्ट ने बरकार रखा.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Chhattisgarh High Court spare the man who made Physical relation with dead body know why
Courtesy: Social Media

Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक आवश्यक फैसला में निर्णय दिया है कि नेक्रोफिलिया भारतीय कानून में अपराधिकृत अपराध क्रिया के श्रेणी नहीं है. इसलिए किसी को इस आधार पर दंड़ नहीं दिया जा सकता. इस फैसले की अब चारो ओर चर्चा हो रही है. हाई कोर्ट ने आखिर ऐसा फैसला क्यों सुनाया? क्या कानन शवों के साथ दुष्कर्म करने की इजाजत देता है. आइए इसी के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में नौ वर्षीय एक बच्ची की हत्या और हत्या के बाद दुष्कर्म करने के मामले में हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है.  18 अक्टूबर 2018 को बच्ची की डेड बॉडी मिली थी. घटना के संबंध में पुलिस ने आरोपी नीलू नागेश को 22 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था.  पूछताच के दौरान नीलू नागेश ने अपने गुनाहकार को स्वीकार किया कि उसने बालिका को अगवाहित किया, और फिर उसकी हत्या कर दिया. उसने यह भी कहा कि उसने मृत शव के साथ भी बलात्कार किया.

हाई कोर्ट ने आरोपी को शव के साथ दुष्कर्म मामले में सजा क्यों नहीं सुनाई

हाई कोर्ट ने आरोपी को इसलिए रिहा किया क्योंकि भारत के कानून में डेड बॉडी के साथ दुष्कर्म करने को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया. इसलिए ऐसे मामलों में आरोपी को सजा नहीं दी जा सकती. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने  नितिन यादव को अलग-अलग धाराओं के तहत सजा सुनाई थी. इसके साथ  कोर्ट ने एक दूसरे आरोपी नीलू नागेश को 7 साल की सजा सुनाई थी. इस फैसले के खिलाफ पीड़िता की मां ने हाई कोर्ट में अपील की थी. क्योंकि वह चाहती थीं की आरपियों को कम से कम उम्रकैद मिले लेकिन हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहारया और याचिका खारिज कर दिया. 

हाई कोर्ट ने की अहम टिप्पणी

याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि देश में जो आपराधिक कानून है उसमें शव के साथ दुष्कर्म करने के मामलों में अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है.  इसे नेक्रोफीलिया कहा जाता है. यानी नेक्रोफीलिया अपराध नहीं है.