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India Daily
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'दो टुकड़ों में लॉन्च होगा चंद्रयान 4, स्पेस में जोड़कर एक करेंगे...', समझिए ये अनोखा काम कैसे करेगा ISRO?

ISRO News: चंद्रयान-4 मिशन को लेकर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अनोखा प्लान कर रही है. इसरो चीफ डॉ.एस सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान-4 को एक बार में लॉन्च नहीं किया जाएगा. इसे दो हिस्सों में अलग-अलग जगहों से लॉन्च किया जाएगा और अंतरिक्ष में इसे जोड़ा जाएगा. इस मिशन में भारत और जापान की अंतरिक्ष एजेंसियां एक-दूसरे का सहयोग कर रही हैं. 

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Shubhank Agnihotri
Chandrayaan-4 News
Courtesy: Social Media

ISRO News: चंद्रयान 3 की सफलता के बाद इसरो ऐसा काम करने जा रहा है जो शायद ही अंतरिक्ष की दुनिया में कभी हुआ हो. इसरो चीफ ने खुलासा किया है कि चंद्रयान-4 को टुकड़ो में अंतरिक्ष भेजा जाएगा. इसके बाद उसे स्पेस में असेंबल भी किया जाएगा. इसरो चीफ डा.एस सोमनाथ ने यह सभी बातें एक इंटरव्यू के दौरान कही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस मिशन के जरिए इसरो मून की सतह से सैंपल लेकर धरती पर वापस आएगा. 

इसरो चीफ ने बुधवार को कहा कि चंद्रयान-4 के दो हिस्से अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे. इन्हें पहले एक कक्षा में भेजा जाएगा फिर बाद में इन्हें अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि इसका फायदा यह होगा कि इसरो भविष्य में अपना अंतरिक्ष स्टेशन भी इसी तरह जोड़कर बनाएगा. इसरो यदि ऐसा करने में सफल रहा तो चांद पर पहुंचने से पहले ही वह शायद एक नया इतिहास रच देगा. उन्होंने यह भी कहा कि चंद्रयान-4 का लक्ष्य चांद की सतह से सैंपल लेकर आना है. 

जटिल है चंद्रयान-4 मिशन

इसरो का चंद्रयान-4 मिशन अन्य मिशनों की तुलना में बेहद जटिल माना जा रहा है. इस मिशन की खास बात यह है कि इसका लैंडर इसरो तैयार कर रहा है जबकि रोवर मॉड्यूल जापान निर्मित कर रहा है. यह मिशन भारत और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA द्वारा संयुक्त रूप से लॉन्च किया जा रहा है. इसे साल 2026 तक चांद की सतह पर भेजने की तैयारी है. इसरो ने पहले ही कहा है कि चंद्रयान-4 की लैंडिंग साइट शिव-शक्ति प्वाइंट पर होगी. यह वही स्थान है जहां पर चंद्रयान-3 उतरा था.

इसरो चीफ ने बताई वजह

एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-4 एक बार में लॉन्च नहीं किया जाएगा. इसके बजाए चंद्रयान-4 के स्पेयर पार्ट्स को दो प्रक्षेपण के जरिए कक्षा में भेजा जाएगा. इसके बाद चांद पर रवाना होने से पहले यान को अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा. इसरो ने ऐसा करने की वजह भी बताई. इसरो ने बताया कि उनके पास अभी इतना ताकतवर रॉकेट नहीं है जो चंद्रयान-4 को एक बार में लेकर जा सके. 

इसरो चीफ ने कहा कि इसके लिए हमें स्पेस में डॉकिंग कैपिसिटी ( अंतरिक्ष यान के विभिन्न भागों को जोड़ने की क्षमता ) की आवश्यकता है. हम उस क्षमता को प्रदर्शित कर रहे हैं. इस क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए एजेंसी इस साल के अंत में  SPADEX  मिशन भी लॉन्च करेगी. 

जानें क्या है डॉकिंग प्रोसेस? 

चांद से वापसी की यात्रा पर स्पेसक्राफ्ट मॉड्यूल की डॉकिंग एक नियमित प्रोसीजर है. स्पेसक्राफ्ट का एक हिस्सा मेन स्पेसस्काफ्ट से अलग हो जाता है और लैंडिंग करता है जबकि दूसरा हिस्सा चांद की कक्षा में रहता है. जब लैंडिंग वाला हिस्सा चांद की सतह से बाहर निकलता है तब वह डॉक करता है और चक्कर लगाने वाले हिस्से से जुड़ जाता है और एक यूनिट के रूप में काम करने लगता है.