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Sonam Wangchuk: केंद्र का 'लद्दाख वादा', जिसे पूरा करना चाहते हैं सोनम वांगचुक

Sonam Wangchuk: सोनम वांगचुक ने क्रेंद्र सरकार को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कई मांगे रखी हैं. वांगचुक ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि हमें गृह मंत्रालय द्वारा भारत के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक का आश्वासन दिया गया है. 

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Edited By: India Daily Live
Sonam Wangchuk
Courtesy: Social Media

लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. उनके साथ कुछ सहयोगियों  भी हिरासत में लिया गया, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया. सोनम वांगचुक ने क्रेंद्र सरकार को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कई मांगे रखी हैं. वांगचुक ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि हमें गृह मंत्रालय द्वारा भारत के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक का आश्वासन दिया गया है. 

जलवायु कार्यकर्ता को हिरासत में लेकर बवाना पुलिस स्टेशन में रखा गया जबकि अन्य पदयात्रियों को दिल्ली-हरियाणा सीमा पर तीन अन्य पुलिस स्टेशनों में रखा गया. सभी को पुलिस कर्मियों ने बसों में भरकर रात करीब साढ़े नौ बजे राजघाट तक पहुंचाया और बाद में उन्हें जाने दिया गया. 

प्रदर्शनकारियों की मांग क्या है?

पदयात्रियों द्वारा भारत सरकार को सौंपे गए ज्ञापन में 15 दिनों के भीतर लद्दाख के राज्य के दर्जे पर बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की गई. द्दाख के लोगों की तात्कालिक समस्याओं के समाधान के अलावा, स्थानीय लोकतंत्र इस संवेदनशील ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी की देखभाल की जिम्मेदारी वहां के मूल जनजातीय लोगों को देगा, जो हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए वहां रह रहे हैं और यदि इस संवेदनशील क्षेत्र में कोई गलती हुई तो पीढ़ियों तक प्रभावित होंगे. 

पदयात्रियों ने सरकार से भारत के कार्बन तटस्थता लक्ष्य को 2070 से अधिक तत्काल समय सीमा में बदलने पर पुनर्विचार करने का भी आग्रह किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिशन लाइफ जैसी पहल की सराहना करते हुए ज्ञापन में सरकार से इसे और अधिक प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने का आग्रह किया गया.

वांगचुक एक महीने पहले लेह से 'दिल्ली चलो पदयात्रा' का नेतृत्व कर रहे थे और अन्य बातों के अलावा केंद्र शासित प्रदेश के लिए संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे थे. मार्च में शामिल करीब 170 लोगों को सोमवार रात दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर हिरासत में लिया गया और अलग-अलग पुलिस थानों में ले जाया गया, जहां वे भूख हड़ताल पर बैठ गए.

केंद्र ने क्या वादा किया?

वांगचुक ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के बाद, भारतीय जनता पार्टी ने 2020 में स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के चुनाव के दौरान लद्दाख के लोगों को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने का वादा किया था. इस साल की शुरुआत में वांगचुक ने दावा किया कि जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने क्षेत्र के लोगों को अनुच्छेद 371 जैसी सुरक्षा प्रदान करने की पेशकश की, तो केंद्र अपने वादे से पीछे हट गया. 

राज्य के दर्जे के मुद्दे पर, जो कि प्रमुख मांगों में से एक है, वांगचुक ने कहा कि केंद्र ने कभी इसका वादा नहीं किया और यह केवल लद्दाख के लोगों की अपील और मांग है. विधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के शासन और प्रशासन को संबोधित करती है.