नई दिल्ली: तेलंगाना में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करने वाला विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया है. मुख्य रूप से आदिवासी आबादी के लिए उच्च शिक्षा और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से इस विश्वविद्यालय से जुड़ा हुआ विधेयक राज्यसभा से पारित किया गया. निचले सदन राज्यसभा में सुरक्षा उल्लंघन के मुद्दे पर बहस के बीच में विपक्ष के सदन से बाहर चले जाने के बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 को सर्वसम्मति से ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.
यह विधेयक 7 दिसंबर को लोकसभा की ओर से पहले ही पारित कर दिया गया था. इसे 4 दिसंबर को निचले सदन राज्यसभा में पेश किया गया था. इसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन किया गया. यह विधेयक तेलंगाना में एक केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना करता है. इसका नाम 'सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय' होगा. इसका क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र तेलंगाना तक विस्तारित होगा. यह मुख्य रूप से भारत की जनजातीय आबादी के लिए उच्च शिक्षा और अनुसंधान सुविधाओं को प्रदान करेगा.
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 में प्रावधान है कि केंद्र सरकार तेलंगाना में एक जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करेगी. विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार का लक्ष्य तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करना है. केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 का पारित होना भारत में आदिवासी आबादी के लिए सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है. तेलंगाना में विश्वविद्यालय की स्थापना में देरी के बारे में प्रधान ने इसके लिए तेलंगाना सरकार द्वारा संस्थान के लिए उपयुक्त स्थान की पहचान करने में लिए गए समय को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि 'सम्मक्का सरक्का सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी' पर लगभग 900 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.