केंद्र सरकार ने शुक्रवार को डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) को राष्ट्रीय अवकाश का ऐलान किया. सरकार ने उनके समाज और संविधान में योगदान के सम्मान में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है. इस फैसले से देशभर में बाबासाहेब के प्रति सम्मान और उनकी विरासत को याद करने का मौका मिलेगा.
गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक्स पर दी जानकारी
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसकी घोषणा करते हुए कहा, "संविधान के शिल्पकार, समाज में समानता की नई शुरुआत करने वाले हमारे पूज्य बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती पर अब सार्वजनिक अवकाश होगा." उन्होंने आगे कहा, "बाबासाहेब के प्रति समर्पित माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने इस निर्णय से देश की भावनाओं का सम्मान किया है."
संविधान के शिल्पकार, समाज में समानता के नए युग की स्थापना करने वाले हमारे बाबा साहेब पूज्य डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती पर अब राजकीय अवकाश होगा।
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) March 28, 2025
बाबा साहेब के अनन्य अनुयायी आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने यह निर्णय लेकर राष्ट्र की भावना को सम्मान दिया है। pic.twitter.com/f8eWuKsxmd
कौन थे डॉ. भीमराव अंबेडकर?
डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर, जिन्हें बाबासाहेब के नाम से जाना जाता है, का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था. वे आधुनिक भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले शख्सियत थे और दलित आंदोलन के प्रमुख नेता के रूप में पहचाने जाते हैं. सामाजिक न्याय और समानता के प्रबल समर्थक रहे अंबेडकर ने हाशिए पर पड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया.
संविधान निर्माता और समाज सुधारक
अर्थशास्त्री, शिक्षाविद् और भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता के रूप में अंबेडकर ने देश पर अमिट छाप छोड़ी. वे पिछड़े वर्ग से आने वाले पहले वकील थे और बाद में भारत के पहले कानून व न्याय मंत्री बने. नौ भाषाओं में पारंगत अंबेडकर पहले भारतीय थे जिन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की. 6 दिसंबर, 1956 को उनके निधन के बाद उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है.