CEC on electoral bonds: क्या वक्त पर अपलोड हो जाएगा चुनावी बॉन्ड का ब्यौरा? चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने तोड़ी चुप्पी
CEC on electoral bonds: सुप्रीम कोर्ट की ओर से चुनावी बॉन्ड के रूप में दिए जाने वाले चंदे के ब्यौरे को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बुधवार को जानकारी दी कि निर्वाचन आयोग को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से चुनावी बांडों का डेटा प्राप्त हो गया है और इसे निर्धारित समय पर सार्वजनिक किया जाएगा.
CEC on electoral bonds: सुप्रीम कोर्ट की ओर से इलेक्शन बॉन्ड को लेकर आए ऐतिहासिक फैसले को लागू करने की डेडलाइन करीब आ चुकी है. ऐसे में एक सवाल जो लगातार सबकी जबां पर बना हुआ है कि क्या राजनीतिक पार्टियों को दिए गए चंदे का ब्यौरा समय पर इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर अपलोड को जाएगा. अब इसको लेकर चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार ने अपनी चुप्पी तोड़ी है.
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बुधवार को जानकारी दी कि निर्वाचन आयोग को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से चुनावी बांडों का डेटा प्राप्त हो गया है और इसे निर्धारित समय पर सार्वजनिक किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ही चुनावी बॉन्डों की खरीद का विवरण प्रदर्शित करने के लिए निर्वाचन आयोग को शुक्रवार शाम 5 बजे तक की समय सीमा निर्धारित की थी.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और एसबीआई की हलफनामा
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म कर दिया था, जो राजनीतिक दलों को गुप्त फंडिंग की अनुमति देती थी. कोर्ट के आदेश के बाद स्टेट बैंक को चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद करना पड़ा था.
सुप्रीम कोर्ट ने न केवल चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म किया, बल्कि यह भी आदेश दिया कि स्टेट बैंक निर्वाचन आयोग को चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी सौंपे. इसमें हर बॉन्ड की खरीद की तिथि, राशि, खरीदार का नाम और कौन से राजनीतिक दल ने उसे भुनाया जैसी जानकारी शामिल थी.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने हालांकि इस मामले में समय सीमा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद मंगलवार शाम को एसबीआई अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए एक हलफनामा दायर किया. इस हलफनामे में उन्होंने बताया कि बैंक ने निर्वाचन आयोग को सभी जरूरी जानकारी उपलब्ध करा दी है.
चुनाव आयोग करेगा खुलासा
अब निर्वाचन आयोग को स्टेट बैंक से प्राप्त जानकारी के आधार पर चुनावी बॉन्ड से जुड़े लेन-देन का पूरा ब्योरा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करना है. सुप्रीम कोर्ट ने इस खुलासे के लिए शुक्रवार शाम 5 बजे तक की समय सीमा तय की थी. माना जा रहा है कि निर्वाचन आयोग कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए जल्द ही इस जानकारी को सार्वजनिक कर देगा. इससे यह पता चल सकेगा कि किन कंपनियों या व्यक्तियों ने किन राजनीतिक दलों को कितना चंदा दिया.
चुनावी बॉन्ड योजना पर क्यों है बहस
चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर देश में काफी बहस थी. चुनाव सुधार के पक्षधर इस योजना को पारदर्शिता के खिलाफ मानते थे. उनका कहना था कि गुप्त फंडिंग से राजनीतिक दलों पर दानदाताओं का अनुचित प्रभाव पड़ सकता है. वहीं, सरकार का कहना था कि यह योजना दानदाताओं को सुरक्षा प्रदान करती है. पांच जजों की संविधान पीठ, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे, ने सर्वसम्मति से इस योजना के साथ-साथ आयकर अधिनियम और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में किए गए संशोधनों को भी रद्द कर दिया था.
ये संशोधन दान को गुमनाम बनाते थे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनावी बॉन्ड योजना खत्म हो चुकी है, लेकिन इससे जुड़े लेन-देन का खुलासा होने से भारतीय राजनीति में फंडिंग को लेकर एक नई बहस शुरू हो सकती है.
बता दें, चुनावी बॉन्ड एक ऐसा लिखत है जो किसी व्यक्ति, कंपनी, फर्म या व्यक्तियों के संघ द्वारा खरीदा जा सकता है. यह बॉन्ड विशेष रूप से राजनीतिक दलों को धन देने के उद्देश्य से जारी किए जाते हैं.
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