नई दिल्ली: सीओ जिया उल हत्याकांड का जिन्न फिर बोतल से बाहर निकल गया है. यूपी प्रतापगढ़ में मारे गए सीओ जिया उल हक की हत्या मामले में कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है. जिया उल हक हत्याकांड मामले में CBI कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया भूमिका की जांच करेगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने डीएसपी जिया उल हक की हत्याकांड में रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया की भूमिका की जांच के आदेश CBI को दिये हैं. सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच के जज अनिरुद्ध बोस और बेला त्रिवेदी ने यह आदेश जारी किया है. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की इस पीठ ने सीओ की पत्नी परवीन आजाद की ओर से दायर याचिका पर फैसला दिया. कोर्ट ने पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट द्धारा क्लोजर रिपोर्ट को मान्यता देने वाले आदेश को रद्द कर दिया था.
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. ट्रायल कोर्ट ने राजा भैया और उनके चार साथियों के खिलाफ CBI की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए जांच जारी रखने के आदेश दिए थे. साल 2013 में कुंडा के बलीपुर गांव में प्रधान नन्हे सिंह यादव और उसके भाई की हत्या के बाद बवाल में तत्कालीन सिओ जियाउल की हत्या की हत्या हुई थी.
मृतक सीओ जिया उल हक की पत्नी की तहरीर पर राजा भैया गुलशन यादव हरिओम श्रीवास्तव रोहित सिंह और संजय सिंह समेत पांच पर दर्ज एफआईआर हुई थी. तत्कालीन जांच में राजा भैया को क्लीनचिट मिली थी हालांकि अब मामले मे राजा भैया की भूमिका की सुप्रीम कोर्ट के डबल बेंच के आदेश के बाद फिर से CBI जांच होगी.
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