Arvind Kejriwal: दिल्ली शराब नीति केस मामले के मनी लॉन्ड्रिंग केस में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पहले दिल्ली हाई कोर्ट जमानत रद्द करते हुए तगड़ा झटका दिया. अब जेल के अंदर हीसीबीआई ने शराब नीति केस मामले में केजरीवाल से पूछताछ की है. सीबीआई के इस एक्शन ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की टेंशन और बढ़ा दी है. सीबीआई ने जेल में ही केजरीवाल का बयान दर्ज किया. रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली के मुख्यमंत्री को सीबीआई कल संबंधित ट्रायल कोर्ट में पेश करेगी. एजेंसी को कोर्ट में पेश करने की अनुमति भी मिल गई है.
आज ही दिल्ली हाई कोर्ट ने राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को पलटे हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत रद्द की थी. हाई कोर्ट ने जमानत रद्द करते हुए कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की थी.
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सोमवार को तिहाड़ जेल में दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल से पूछताछ की और आबकारी नीति मामले से संबंधित उनका बयान दर्ज़ किया। CBI को अरविंद केजरीवाल को कल संबंधित ट्रायल कोर्ट में पेश करने की अनुमति भी मिल गई है। उन्हें कल कोर्ट में पेश किया जाएगा
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 25, 2024
राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस मामले को लेकर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बड़ी साजिश रच रही है. CBI ने उनके खिलाफ झूठा मुकदमा गढ़ा है.
आप नेता संजय सिंह ने सीबीआई द्वारा लिए गए एक्शन पर कहा, "अरविंद केजरीवाल को SC से जमानत मिलने की पूरी संभावना है. लेकिन इससे पहले केंद्र की केंद्र की BJP सरकार ने CBI के साथ मिलकर मुख्यमंत्री जी के खिलाफ झूठा केस तैयार करके उन्हें अरेस्ट करने की साजिश रची है."
केंद्र की भाजपा सरकार ने सीबीआई के साथ मिलकर रची बड़ी साज़िश! pic.twitter.com/C6OLNLA6bQ
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) June 25, 2024
दिल्ली हाई कोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि ईडी द्वारा दिए गए नोट को पढ़ें बिना ही जमानत का आदेश पारित कर दिया. साथ ही कोर्ट में ईडी को बहस करने का पर्याप्त समय भी नहीं मिला है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि लोअर कोर्ट ने जमानत का आदेश पारित करते हुए PMLA की धारा 45 की आवश्यकता पर चर्चा नहीं की थी. कोर्ट विवादित आदेश पारित करने से पहले PMLA की धारा 45 की दो शर्तों के बारे में गौर करना चाहिए था.
PMLA की धारा 45 कहती है कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में आदेश कोर्ट को सरकारी वकील को बोलने का पूरा समय देना चाहिए तथा जमानत देने से पहले अदालत को इस बात से संतुष्ट होना होता है कि जमानत मिलने के बाद आरोपी कोई अपराध नहीं करेगा.