उत्तराखंड की सियासत में उथल-पुथल तब मच गई खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के बीच विवाद ने गंभीर मोड़ ले लिया है. दोनों पक्षों के बीच हुई झड़प और फायरिंग के मामले ने पूरे उत्तराखंड में सुर्खियां बटोरीं. पुलिस प्रशासन अब इस मामले की जांच में जुटा हुआ है और हथियारों के लाइसेंस को रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. पूर्व विधायक और वर्तमान विधायक के पक्षों की शिकायत के आधार पर एक दूसरे के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया गया है. हरिद्वार एसएसपी प्रमोद डोबाल ने यह जानकारी दी है.
क्या है पूरा मामला?
लाइसेंस रद्द करने की मांग
पुलिस ने दोनों पक्षों के पास मौजूद लाइसेंसी हथियारों की रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को सौंपी है. इन हथियारों को लेकर पुलिस ने लाइसेंस रद्द करने की मांग की है. एसएसपी डोबाल ने बताया कि कानूनी कार्रवाई के तहत इन हथियारों की जांच और संबंधित आदेशों को प्राथमिकता दी जा रही है.
#WATCH | SSP Haridwar Pramod Dobal says, "Police immediately registered a case in the incident of Kunwar Pranav Singh Champion and his supporters firing in the camp office of independent MLA Umesh Kumar. Our special teams were assigned the case and Kunwar Pranav Singh has been… https://t.co/nOCLVuMxtB pic.twitter.com/1Q4cAfNpLj
— ANI (@ANI) January 26, 2025
रानी देव रानी की शिकायत
इस मामले को और पेचीदा बनाते हुए पूर्व विधायक की पत्नी रानी देव रानी सिंह ने निर्दलीय विधायक उमेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि 25 जनवरी की रात लगभग 9 बजे उमेश कुमार तीन गाड़ियों के काफिले के साथ रुड़की के लंढौरा स्थित उनके घर पहुंचे और हंगामा किया. उनकी शिकायत पर पुलिस ने रुड़की के सिविल लाइन थाने में उमेश कुमार के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की है.
हरिद्वार पुलिस ने कसी कमर
हरिद्वार पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोनों पक्षों से जुड़े साक्ष्य जुटाने शुरू कर दिए हैं. यह मामला न केवल राजनीति से जुड़ा हुआ है, बल्कि क्षेत्रीय कानून-व्यवस्था को चुनौती देता हुआ भी नजर आ रहा है. दोनों पक्षों के बीच हुई इस झड़प ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर नई चर्चाओं को जन्म दिया है. अब यह देखना होगा कि पुलिस की जांच और न्यायिक प्रक्रिया इस मामले को किस दिशा में ले जाती है. हालांकि, इस घटना ने हरिद्वार के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है और जनता के बीच सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.