सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) पर एक अहम सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई बेहद जरूरी औचित्य न हो तो इस प्रणाली को खत्म नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने पारंपरिक बैलेट पेपर प्रणाली की ओर जाने को लेकर अलर्ट भी किया है.
जस्टिस संजीव खन्ना ने एडीआर की ओर से अर्जी लगाने वाले प्रशांत भूषण को बैलेट पेपर का दौर याद करा दिया. जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने बैलेट पेपर ऑडिट ट्रेल्स के साथ ईवीएम पर डाले गए वोटों के 100 फीसदी क्रॉस वेरिफिकेशन को लेकर दायर एक याचिका की सुनवाई की.
प्रशांत भूषण क्या दलील दे रहे हैं?
याचिकाकर्ता ने कहा कि बैलेट पेपर से ही इलेक्शन होने चाहिए क्योंकि जर्मनी और युरोपीय देश, अब इस प्रणाली पर लौट आए हैं. बेंच ने कहा कि इस पर सावधानी बरतने की जरूरत है. जजों ने भारत की विशाल जनसंख्या का हवाला देकर अहम बात कही है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक पक्ष ने कहा, 'जर्मनी की जनसंख्या कितनी है? और भारत में कितने लोग वोट करते हैं? भारत में लगभग 98 करोड़ मतदाता हैं और लगभग 60 प्रतिशत वोट करते हैं. कम से कम इतने लोग वोट करते हैं. आप कह रहे हैं कि 60 करोड़ वीवीपैट का मिलान किया जाना चाहिए?'
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को दिखाया ईवीएम पर आईना
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दत्ता ने कहा, 'भारत में मतदान एक बहुत बड़ा काम है जो कई यूरोपीय देशों के लिए भी संभव नहीं हो सकता है. मेरे गृह राज्य, पश्चिम बंगाल की जनसंख्या प्रशांत भूषण द्वारा बताए गए देश से अधिक है. हमें किसी संस्था पर भरोसा और विश्वास कायम रखना होगा.' निःसंदेह, उन्हें जवाबदेह होना होगा. लेकिन इस तरह की व्यवस्था को गिराने की कोशिश मत कीजिए.'
कब होगी इस केस की अगली सुनवाई?
सीक्रेट बैलेट पेपर पर अब अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा दिखाए गए आंकड़े 99.9% मामलों में कोई विसंगति या अनियमितता नहीं दिखाते हैं. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'जैसा कि हमने कहा, जब कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं होता है, तो अधिकतर कोई समस्या नहीं होती है. मशीनों में इंसानों द्वारा हेराफेरी की जाती है.. मानवीय त्रुटियों के कारण बेमेल होने के कुछ उदाहरण जरूर मिल जाएंगे.'
चुनाव आयोग से सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को अगली तारीख पर ईवीएम और वीवीपैट के कामकाज पर आंकड़ों और प्रासंगिक जानकारी के साथ तैयार रहने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर इंसान दखल न दे तो मशीनें आपको सही परिणाम देंगी. यह सटीक होगा.'
बैलेट पेपर पर वापस लौटने को लेकर जस्टिस खन्ना ने कहा, 'सौभाग्य से, हम 60 के दशक में नहीं हैं. हम सभी ने देखा है कि मतपत्रों के साथ क्या होता था. मैं नहीं भूला हूं कि उस समय स्थिति क्या थी. हम सभी ने अतीत में समस्याएं देखी हैं और हम सिर्फ बूथ कैप्चरिंग की बात नहीं कर रहे हैं. अन्य समस्याएं भी हैं.'
प्रशांत भूषण ने एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा, 'अधिकांश मतदाता ईवीएम पर भरोसा नहीं करते हैं. जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'तो, क्या आप चाहते हैं कि हम एक निजी सर्वेक्षण के आधार पर यह मान लें कि अधिकांश देशवासी ईवीएम पर भरोसा नहीं करते हैं? आइए हम इसे इस स्तर तक कम न करें. इस प्रकार का तर्क स्वीकार्य नहीं होगा.'