CAA Not Against Muslims: सरकार की ओर से नागरिक संशोधन कानून को लागू किए जाने के बाद से ही लगातार एक वर्ग इसे मुसलमानों के खिलाफ बताकर इसका विरोध कर रहा है, हालांकि सरकार बार-बार इस बात को साफ कर रही है कि यह कानून नागरिकता देने के लिए बनाया जा रहा है न कि छीनने के लिए, बावजूद इसके आखिर ऐसी क्या वजह है जो लोग सरकार की बात मानने से इंकार कर रहे हैं.
दरअसल लगातार इस बात को समझ न पाने के पीछे का सबसे अहम कारण है इस कानून को लेकर फैलाया जा रहा दुष्प्रचार जो न सिर्फ कुछ राजनेता कर रहे हैं बल्कि हमारे पड़ोसी और दुश्मन देश पाकिस्तान की तरफ से भी प्रोपेगैंडा के तहत लगातार मुसलमानों के खिलाफ होने का नरेटिव सेट किया जा रहा है.
सूफी इस्लामिक बोर्ड, तेलंगाना राज्य के अध्यक्ष फैयाजुद्दीन वारसी ने कहा कि सरकारी एजेंसियों के दावे के बावजूद, जिसमें कहा गया है कि इस अधिनियम से मुसलमानों समेत किसी भी भारतीय से उसकी नागरिकता नहीं छीनी जाएगी, विरोधी हो रहा है. ये विरोध काल्पनिक हैं. जो लगातार कुछ निहित स्वार्थों से प्रेरित हैं. दुष्प्रचार कर रहे हैं कि भारत में सब कुछ ठीक नहीं है.
जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष दर्जा (अनुच्छेद 370 के उन्मूलन) को उजागर करने के अपने प्रयास पर विश्व शक्तियों की ओर से अस्वीकार किया गया था, वो पाकिस्तान नागरिकता संशोधन अधिनियम को हिंदू-मुस्लिम रंग देकर उसे भुनाने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तानी खिलाड़ी सीएए पर सभी प्रकार के नकारात्मक प्रचार में शामिल हैं.
दुर्भाग्य से भारत के निर्दोष नागरिक उनके मंसूबों का शिकार हो रहे हैं. निरंतर जारी सूचना युद्ध में भारत के युवाओं के एक बड़े वर्ग, विशेष रूप से छात्रों को, यह विश्वास दिलाया जाता है कि सीएए लाखों मुसलमानों को भारतीय नागरिकता से वंचित कर देगा, जो सच्चाई से बहुत दूर है.
इस पृष्ठभूमि में मुस्लिम विद्वानों, उलेमाओं और इमामों का दायित्व है कि वे देश के भीतर और बाहर से इन दुश्मन ताकतों के मंसूबों को समझें और भारत के खिलाफ फैलाए गए द्वेषपूर्ण प्रचार का मुकाबला करें. यह सही समय है कि विरोधियों को सीएए के बारे में सच्चाई बताई जानी चाहिए.
अपने परिवार और समाज के हितों के लिए अपने नियमित जीवन में शामिल किया जाना चाहिए. सभी भारतीय नागरिकों को भारतीय संविधान में विश्वास रखना चाहिए और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर भारत की उम्मीद करनी चाहिए.
फैयाजुद्दीन वारसी, तेलंगाना राज्य अध्यक्ष, सूफी इस्लामिक बोर्ड के ये निजी विचार हैं.