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5 सांसदों में से एक को छोड़नी होगी विधानसभा सीट, तब कहीं उपचुनाव के लिए नरोत्तम होंगे फिट; जानें सियासी समीकरण

सोमवार को नरोत्तम मिश्रा ने एक बयान जारी कर दतिया के लोगों को धन्यवाद दिया था. उन्होंने कहा था कि मैं जनता से मिले जनादेश को स्वीकार करता हूं. शायद मैंने आपके मुताबिक काम नहीं किया, इसलिए आप लोगों ने किसी और को अपना विधायक चुन लिया.

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Edited By: Om Pratap
By election for Narottam Mishra return to MP Assembly

हाइलाइट्स

  • दतिया सीट से नरोत्तम मिश्रा को मिली है हार
  • नरोत्तम ने कहा था- मैं वापस आऊंगा

By election for Narottam Mishra return to MP Assembly: नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश के सियासत के बड़े चेहरे हैं. हालांकि, उन्हें कुछ दिन पहले हुए विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र भारती ने नरोत्तम मिश्रा को 7,742 के बड़े वोटों के अंतर से हराया है. नरोत्तम की हार के बाद मध्य प्रदेश भाजपा विधानसभा में उनकी वापसी की सभी संभावनाओं की तलाश में जुट गई है. फिलहाल, जो सबसे आसान रास्ता दिख रहा है, वो है किसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव.

मध्य प्रदेश में विधान परिषद नहीं है. ऐसे में नरोत्तम मिश्रा को किसी भी हाल में विधानसभा में वापसी के लिए उपचुनाव लड़ना ही होगा. लेकिन सवाल ये है कि आखिर किस सीट पर उपचुनाव कराए जाएंगे कि नरोत्तम मिश्रा की विधानसभा में वापसी हो. आखिर इसके लिए कैसे और क्या समीकरण बनेंगे?

दरअसल, भाजपा ने विधानसभा चुनाव में अपने 7 सांसदों को टिकट दिया था और चुनावी मैदान में उतारा था. भाजपा का लक्ष्य था कि 2019 में अपने संसदीय सीट पर जीत दर्ज करने वाले ये सांसद अपने विधानसभा सीट के साथ-साथ अन्य सीटों को भी साधेंगे, जिससे पार्टी बड़ी जीत हासिल करेगी. चुनाव नतीजे जब सामने आए, तो भाजपा की ये रणनीति उम्मीद से ज्यादा काम करती दिखी. अब जबकि नतीजे उम्मीद से बेहतर हैं, तो संभावना है कि सात में जीते पांच सांसद अपनी नवनिर्वाचित विधानसभा सीट से इस्तीफा देकर केंद्र की राजनीति में लौट जाएं. हालांकि ये सिर्फ कयास मात्र है, ये जरूरी नहीं है. ये सांसदों और पार्टी की रणनीति पर निर्भर करता है.

नरोत्तम मिश्रा के लिए कौन से सांसद छोड़ेंगे अपनी सीट?

ये सवाल काफी अहम है कि आखिर कौन से सांसद नरोत्तम मिश्रा के लिए अपनी सीट छोड़ेंगे? क्या जो सांसद अपनी विधानसभा सीट छोड़ेंगे, वो नरोत्तम मिश्रा के लिए मुफीद होगी? अगर पांचों सांसदों ने इस्तीफा दे दिया, तो फिर नरोत्तम मिश्रा के लिए कौन सी सीट सबसे ज्यादा सेफ होगी? दरअसल, नरोत्तम मिश्रा कद्दावर नेता माने जाते हैं. उनके पास सरकार में रहकर काम करने का काफी अनुभव भी है. वो दतिया सीट पर 2008, 2013 और 2018 में जीत दर्ज कर चुके हैं. नरोत्तम मिश्रा ग्वालियर-चंबल इलाके से आते हैं. इस इलाके की दिमनी सीट ही एकमात्र ऐसी सीट है, जहां से वे उपचुनाव लड़कर जीत सकते हैं. 

दिमनी सीट ही नरोत्तम मिश्रा के लिए मुफीद क्यो?

दरअसल, भाजपा ने मध्य प्रदेश चुनाव में दिमनी सीट से केंद्रीय मंत्री और सांसद नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीदवार बनाया था. नरेंद्र सिंह तोमर ने इस सीट से जीत भी हासिल की. अब समीकरण ऐसे बन रहे हैं कि कुछ महीने बाद ही देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि नरेंद्र सिंह तोमर को राज्य की राजनीति ज्यादा रास नहीं आती है. इसकी संभावना कम ही है कि वे राज्य की राजनीति में सक्रिय होंगे, क्योंकि वे मोदी सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री हैं. वे मुरैना सीट से सांसद भी हैं. आने वाले कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मुरैना संसदीय सीट पर उनके मुकाबले फिलहाल भाजपा के पास कोई चेहरा भी नहीं है. ऐसे में पूरी संभावना है कि वे अपनी नवनिर्वाचित विधानसभा सीट से इस्तीफा दे देंगे.

नरेंद्र सिंह तोमर के इस्तीफा देने के बाद वहां अगले छह महीने में विधानसभा उपचुनाव कराए जाएंगे. काफी संभावना है कि भाजपा इस सीट से नरोत्तम मिश्रा को उतार सकती है. नरोत्तम के लिए दिमनी सीट से जीत दर्ज करना कितना आसान होगा, ये अलग-अलग फैक्टर पर डिपेंड करता है. लेकिन बता दें कि इस सीट पर ब्राह्मण और ठाकुरों की संख्या ज्यादा है. नरोत्तम मिश्रा खुद ब्राह्मण हैं. ऐसे में यहां ब्राह्मण वोटर्स को साधकर उन्हें जीत दिलाई जा सकती है, क्योंकि हाल ही में दिमनी सीट से जीते उम्मीदवार नरेंद्र सिंह तोमर ठाकुर समाज से आते हैं, जो पहले से ही भाजपा के पक्ष में बताए जाते हैं. दिमनी में ठाकुर समुदाय के लोगों की संख्या 80 हजार से ज्यादा, ब्राह्मणों की 20 हजार से ज्यादा, जबकि गुर्जर 12 हजार से अधिक और अनुसूचित जाति समुदाय के 25 हजार से अधिक वोटर्स हैं. 

वापसी को लेकर सोमवार को नरोत्तम मिश्रा ने दिया था ये बयान

सोमवार को नरोत्तम मिश्रा ने एक बयान जारी कर दतिया के लोगों को धन्यवाद दिया था. उन्होंने कहा था कि मैं जनता से मिले जनादेश को स्वीकार करता हूं. शायद मैंने आपके मुताबिक काम नहीं किया, इसलिए आप लोगों ने किसी और को अपना विधायक चुन लिया. इसके बाद उन्होंने कहा कि किसी भ्रम में मत आ जाना, समुद्र का पानी उतरता देख... किनारे पर घर मत बना लेना. मैं लौट कर आऊंगा, ये वादा है और इस बार मैं दोगुनी गति और ऊर्जा से वापस आउंगा.