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कार्यकर्ताओं के पैसे से चलती है BSP? हिलाकर रख देंगे मायावती का साथ छोड़ने वालों के ये 5 आरोप

Akash Anand Electoral Bond: लोकसभा चुनाव में BSP के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे आकाश आनंद काफी आक्रामक मोड में हैं. उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर राजनीतिक दलों पर हमला बोला है.

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Edited By: India Daily Live
Mayawati and Akash Anand
Courtesy: BSP

'BSP धन्नोसेठों की पार्टी नहीं, अपने दम पर चलने वाली पार्टी है'-यह बयान है मायावती के भतीजे आकाश आनंद का. एक समय पर उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज रहने वालीं मायावती अब नेपथ्य में हैं. अपने दम पर सरकार बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) अब सिर्फ एक विधायक की पार्टी रह गई है. खुद मायावती किसी सदन की सदस्य नहीं हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में जीते BSP के 10 में से ज्यादातर सांसद पार्टी छोड़ चुके हैं. ऐसे में पार्टी को जिंदा रखने और चुनावी मैदान में वापसी कराने की जिम्मेदारी मायावती के भतीजे और उनके राजनीतिक वारिस आकाश आनंद के कंधों पर आ गए हैं. हाल ही में चुनावी रैलियों में उतरे आकाश आनंद ने इलेक्टोरल बॉन्ड के बहाने सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के साथ-साथ अन्य दलों पर भी निशाना साधा है. ऐसे में उन आरोपों की भी खूब चर्चा होने लगी है जो दशकों से मायावती और BSP पर लगते रहे हैं. BSP छोड़ने वाले कई दिग्गज नेता आरोप लगा चुके हैं कि मायावती पैसे लेकर टिकट देती रही हैं.

इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सामने आने के बाद बीजेपी, TMC, कांग्रेस, DMK, AAP और समाजवादी पार्टी जैसे दलों के बारे में पता चला कि उन्हें इससे खूब चंदा मिला है. वहीं, लेफ्ट के दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी भी ऐसा दल रही जिसे इलेक्टोरल बॉन्ड से कोई चंदा नहीं मिला. इस पर आकाश आनंद ने कहा है, 'BSP धन्नासेठों की पार्टी नहीं है, हम अपने दम पर पार्टी चलाते हैं.' आइए कुछ ऐसे आरोपों को फिर से पढ़ते हैं जब कहा गया कि मायावती और उनकी पार्टी ने पैसे लेकर टिकट दिए.


अखिलेश दास का आरोप

साल 2014 में अखिलेश दास ने BSP की सुप्रीमो मायावती पर आरोप लगाए ति वह बिना पैसे लिए किसी को टिकट नहीं देती हैं. इससे पहले मायावती ने अखिलेश दास के बारे में कहा था कि वह राज्यसभा सदस्य बनाने के बदले में 100 करोड़ रुपये देने को तैयार थे. मायावती के आरोपों का जवाब देते हुए अखिलेश दास ने कहा था कि वह सामान्य सीटों के लिए एक-एक करोड़ रुपये और आरक्षित सीटों के लिए 50-50 लाख रुपये लेती हैं. अखिलेश दास लंबे समय तक BSP के महासचिव भी रहे थे.

'दौलत की बेटी'

लगातार पार्टियां बदल रहे स्वामी प्रसाद मौर्य लंबे समय तक बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर नेता थे. 2016 में बसपा छोड़ते ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने मायावती के बारे में कहा कि वह 'दलित की बेटी नहीं दौलत की बेटी' हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी कहा था कि मायावती बिना पैसे लिए किसी को टिकट नहीं देतीं और हर चुनाव में वह टिकट बेचती हैं.

पैसे लेकर टिकट न देने का आरोप

साल 2016 में संगीता चौधरी को BSP से निकाल दिया गया था. वह अतरौली सीट से BSP की प्रत्याशी थीं. टिकट कटने और पार्टी से निकाले जाने पर संगीता चौधरी ने आरोप लगाए कि उन्होंने टिकट के लिए 1.69 करोड़ रुपये दिए, फिर भी टिकट काट दिया गया.

विधायकों ने लगाए आरोप

साल 2016 में बीएसपी के विधायक बृजेश वर्मा और हरविंदर सैनी ने पार्टी छोड़ दी. इन दोनों ने आरोप लगाए कि मायावती ने हरविंदर से 5 करोड़ तो बृजेश वर्मा से 4 करोड़ रुपये मांगे. इन नेताओं ने आरोप लगाए थे कि उस समय ये पैसे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मायवती के सामने ही मांगे थे.

नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने खोल दी पोल

मौजूदा समय में कांग्रेस के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी लंबे समय तक BSP में रहे. वह ऐसे नेता थे जिन पर मायावती को भरपूर भरोसा था. साल 2017 में नसीमुद्दीन और उनके बेटे अफजल सिद्दीकी को बसपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. नसीमुद्दीन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाए कि मायावती ने पार्टी के नाम पर उनसे 50 करोड़ रुपये मांगे. नसीमुद्दीन ने अपने पास इस सबका सबूत होने का भी दावा किया. हालांकि, मायावती ने उल्टे नसीमुद्दीन पर ही आरोप लगाए कि वह ब्लैकमेलर हैं और पैसे लेते हैं.

कहां से कमाती है BSP?

आंकड़ों के मुताबिक, इलेक्टोरल बॉन्ड न लेने वाली बीएसपी की लगभग एक तिहाई कमाई सदस्यता शुल्क से आती है. 2017-18 में यह कमाई सिर्फ 17 प्रतिशत थी जो 2021-22 में बढ़कर 30 प्रतिशत यानी लगभग 66.09 करोड़ रुपये हो गई थी. BSP को सबसे ज्यादा पैसे बैंक खातों में जमा पैसों पर ब्याज के रूप में मिले थे.