लगातार कमजोर होती जा रही बहुजन समाज पार्टी (BSP) अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीटें न जीत पाने वाली BSP का अगला लक्ष्य हरियाणा है. हरियाणा में BSP ने इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) से एक बार फिर से गठबंधन कर लिया है. इससे पहले इन दोनों पार्टियों के बीच कई बार गठबंधन हुआ है और टूट भी चुका है. हरियाणा से पहले 2022 के विधानसभा चुनाव में BSP ने पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के साथ गठबंधन किया था लेकिन इस गठबंधन को कामयाबी नहीं मिली. अब देखना होगा कि इस गठबंधन का हश्र क्या होगा क्योंकि मायावती की पार्टी अब राष्ट्रीय पार्टी का अस्तित्व खोने की ओर है.
इसी साल होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए BSP ने अभय चौटाला की अगुवाई वाली INLD से गठबंधन कर चुका है. इस गठबंधन के तहत INLD कुल 53 सीटों पर और बसपा 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2019 के चुनाव से पहले भी इन दोनों दलों का गठबंधन हुआ था. हालांकि, यह गठबंधन चुनाव से पहले ही टूट भी गया. नतीजा यह हुआ कि INLD सिर्फ एक सीट पर रह गई और बसपा को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई.
मायावती की पार्टी अपने गढ़ यानी उत्तर प्रदेश में ही लगातार सिमटती जा रही है. 2019 में सपा और बसपा के गठबंधन की बदौलत बसपा के 10 सांसद जीते थे. 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा अकेली लड़ी और 403 में से सिर्फ एक सीट पर उसे जीत हासिल हुई. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कोशिशें हुईं कि बसपा को भी INDIA गठबंधन का हिस्सा बनाया जाए. हालांकि, मायावती इसमें शामिल नहीं हुईं. नतीजा यह हुआ कि मायावती की पार्टी एक भी लोकसभा सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई. वहीं, दलित राजनीति के नए चेहरे चंद्रशेखर आजाद एक सीट जीतकर संसद पहुंच गए.
उत्तर प्रदेश के अलावा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दक्षिण के कुछ राज्यों में भी चुनाव लड़ने वाली बसपा को कहीं पर कामयाबी नहीं मिली. मौजूदा स्थिति यह है कि बसपा का एक भी लोकसभा सांसद नहीं है. उत्तर प्रदेश की विधानसभा में उसका सिर्फ एक विधायक है. इस लोकसभा चुनाव में बसपा को सिर्फ 0.24 प्रतिशत वोट मिले हैं. ऐसे में अब उसके अस्तित्व पर ही संकट मंडरा रहा है.
इससे पहले, साल 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में बसपा ने शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन किया था. उस चुनाव में भी उसे कोई कामयाबी नहीं मिली. उस चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने 97 सीटों पर तो बसपा ने कुल 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था. आम आदमी पार्टी ने एकतरफा जीत हासिल की थी और अकाली दल सिर्फ 3 सीटों पर सिमट गया था. वहीं, बसपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. अब तक सबसे फायदेमंद गठबंधन 2019 का ही रहा है. तब बसपा ने सपा के सहारे 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी.
बता दें कि मायावती लगातार अपनी सक्रियता कम कर रही हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान उनके भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद आक्रामक अंदाज में दिख रहे थे लेकिन अचानक उन्हें चुनावी अभियान से दूर कर दिया गया था. हालांकि, अब आकाश आनंद एक बार फिर वापसी कर चुके हैं. हरियाणा में भी गठबंधन कराने में उन्हीं की भूमिका बताई जा रही है. अब देखना होगा कि यह गठबंधन चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद टिकता है या नहीं.