menu-icon
India Daily

Bombay High Court: हनीमून पर पत्नी को 'सेकंड हैंड' कहना पड़ा भारी, बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठोक दिया 3 करोड़ का जुर्माना

Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है. जिसमें ट्रायल कोर्ट ने पति को अलग रह रही पत्नी को तीन करोड़ रुपये मुआवजा, 1.5 लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था.

auth-image
Edited By: India Daily Live
Bombay High Court

Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें एक पति को अपनी अलग रह रही पत्नी को 3 करोड़ रुपये का मुआवजा और 1.5 लाख रुपये का मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने पति की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उसे निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई वजह नहीं मिला है. 

न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख ने घरेलू हिंसा मामले में अपने 22 मार्च के आदेश में कहा कि यह राशि महिला को न केवल शारीरिक चोटों के लिए बल्कि मानसिक यातना और भावनात्मक परेशानी के मुआवजे के रूप में दी गई है. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा कि सभी पर एक सीधा-सीधा फॉर्मूला लागू नहीं हो सकता है. न्यायमूर्ति शर्मिला ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का निष्कर्ष इस चर्चा पर आधारित था कि 1994 से 2017 तक लगातार घरेलू हिंसा की घटनाएं हुई, जिन्हें गलत नहीं ठहराया जा सकता.

1994 में दोनों जोड़े ने की थी शादी 

इस जोड़े ने जनवरी 1994 में मुंबई में शादी की और बाद में अमेरिका चले गए. जहां एक और विवाह समारोह आयोजित किया गया. 2005 में दोनों मुंबई लौट आए और अपने घर में रहने लगे. साल 2008 में पत्नी अपनी मां के घर चली गई जबकि पति 2014 में वापस अमेरिका चला गया. जुलाई 2017 में महिला ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में घरेलू हिंसा अधिनियम (डीवीए) के प्रावधानों के तहत अपने पति के खिलाफ मामला दायर किया. 

महिला ने पति पर लगाए संगीन आरोप 

महिला ने आरोप लगाया कि अपने हनीमून के दौरान पति ने उसकी पिछली टूटी सगाई को लेकर उसे सेकंड हैंड कहा. महिला ने आरोप लगाया कि अमेरिका में उसके साथ लगातार घरेलू हिंसा की गई. जैसे कि उसके चरित्र पर संदेह करना, अन्य पुरुषों के साथ अवैध संबंधों के झूठे आरोप लगाना और उसे तब तक पीटना जब तक कि उसने कबूल नहीं कर लिया. निचली अदालत ने घरेलू हिंसा की घटनाओं के संबंध में महिला के साक्ष्यों पर गौर किया. जिनकी पुष्टि उसकी मां, भाई और चाचा ने की थी.

'पति के हाथों महिला को घरेलू हिंसा का होना पड़ा शिकार'

जनवरी 2023 में अपने आदेश में ट्रायल कोर्ट ने माना कि महिला को उसके पति के हाथों घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ा और उसे मुआवजे के रूप में 3 करोड़ का भुगतान करने का निर्देश दिया. व्यक्ति को मुंबई के दादर इलाके में अपनी पत्नी के लिए एक आवास, कम से कम 1,000 वर्ग फुट कालीन क्षेत्र का एक आवासीय फ्लैट  खोजने का आदेश दिया या वैकल्पिक रूप से घर के किराए के लिए 75,000 का भुगतान करने का आदेश दिया. उसे महिला के सभी गहने और अन्य सामान वापस करने और उसे भरण-पोषण के लिएप्रति महीने 1,50,000 का भुगतान करने का भी निर्देश दिया गया. निचली अदालत के आदेश के खिलाफ व्यक्ति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. एकल पीठ के न्यायाधीश ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि आरोपी के कृत्यों के कारण मानसिक यातना और भावनात्मक परेशानी सहित चोटों के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए. 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए की अहम टिप्पणी

तलाक की याचिका को खारिज करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा महिला के आत्मसम्मान को प्रभावित करती है. महिला को शारीरिक, आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण का शिकार होना पड़ा है और उसे नौ साल तक अपनी मां के साथ रहना पड़ा. पति महिला को छोड़कर उसके लिए कोई प्रावधान किए बिना अमेरिका चला गया. पीठ ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने पूरे तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए मुआवजा की रकम तय की है. 1994 से 2017 तक लगातार घरेलू हिंसा की घटनाएं हुई, जिन्हें गलत नहीं ठहराया जा सकता. मुझे इस अदालत के पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए विवादित फैसले और आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता. पुनरीक्षण आवेदन खारिज किया जाता है.